महाराष्ट्र: कन्फ्यूजन ही कन्फ्यूजन है सल्यूशन का पता नहीं
प्रफुल्ल पटेल ने कहा था कि अजीत पवार का इस्तीफा एकदम सही है तो वहीं बैठक में नेताओं ने अजीत के इस्तीफे को गलत ठहराया है। बैठक मे साफ हो गया कि कुछ लोग शरद पवार के साथ हैं और कुछ लोग अजित पवार के साथ। बैठक में फैसला लिया गया कि उपमुख्यमंत्री अजित पवार इस पद से दिया गया अपना इस्तीफा वापस लें। विधायकों ने ये प्रस्ताव पास कर एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के पास भेजा है और अंतिम निर्णय उनपर छोड़ दिया है।
पवार के पावर से बच पायेगी यूपीए!
इस मतभेद का कांग्रेस पूरा फायदा उठा सकती है। हो सकता है कि अब वो सारा ठिकरा शरद पवार और उनकी टीम पर ठोंक दे। वो बड़े ही आराम से यह बात कह सकती है कि अजीत का इस्तीफा उनका खुद का फैसला है और वो उन्होंने अपनी पार्टी के दावब में आकर दिया है। जो भी हो महाराष्ट्र राजनीति में इस समय कन्फ्यूजन ही कन्फ्यूजन पैदा हो गया है।
गौरतलब है कि साल 2009 में अजित पवार सिंचाई मंत्री के पद पर थे। इस दौरान उन्होंने सिंचाई से जुड़े 32 प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी, जिनमें ज्यादातर प्रोजेक्ट 20 हज़ार से 25 हज़ार करोड़ के थे लेकिन साल, 2012 में सिंचाई विभाग के एक्जिक्यूटिव इंजीनियर विजय पंधारे ने राज्य के सचिव को चिट्ठी लिखकर 35 हज़ार करोड़ के घोटाले की बात कही है जिस पर विपक्ष ने हंगामा किया और बात अजीत के इस्तीफे पर आकर खत्म हुई।