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अखिलेश यादव कब लगायेंगे गुटखे पर प्रतिबंध?

By सौरव
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When will Akhilesh Yadav ban Gutkha in UP
लखनऊ। देश के 10 राज्‍य और केंद्र शासित चंडीगढ़ में गुटखे पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है। कर्नाटक भी इसी दिशा में जा रहा है। ऐसे में उत्‍तर प्रदेश की बात करना जरूरी है, जहां के हर सरकारी दफ्तरों, रेलवे स्‍टेशन, बस स्‍टॉप, फुटपाथ, डिग्री कॉलेजों व विश्‍वविद्यालयों के बाथरूम, आदि की दीवारें पान मसाले और गुटखे के थूक से पटी रहती हैं। क्‍या अखिलेश यादव को गुटखे पर प्रतिबंध लगाना चाहिये?

गुटखा व तम्बाकू उत्पाद सरकार की कमाई का मोटा माध्यम है, यही कारण है कि प्रदेश सरकार गुटखे पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहती। वॉलेन्ट्री हेल्थ एसोसिएशन व इण्डिन चेस्ट एसोसिएशन जैसे संगठनों द्वारा तम्बाकू उत्पादों पर रोक लगाए जाने की मांग के बावजूद सरकार इस पर रोक लगाने को तैयार नहीं है। आबकारी के बाद तम्बाकू उत्पादों से सरकार को सबसे अधिक आमदनी होती है। तम्बाकू के दुष्प्रभावों पर गौर करें तो इससे 40 प्रकार के कैंसर होते हैं तथा तम्बाकू के लम्बे समय तक प्रयोग से 25 प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं। तम्बाकू के प्रयोग से प्रतिदिन 2200 लोगों की मौत होती जबकि प्रदेश में 2.50 लाख लोग तम्बाकू जनित रोगों से प्रभावित हैं।

कैसे बनता है गुटखा
लोग इस हकीकत को मानें या न माने लेकिन एक दो रुपए के पाउच में बिकने वाले गुटखा में जो सुपारी प्रयोग होती है वह सी ग्रेड यानि सबसे घटिया किस्म की होती है। गुटखा कारोबार में लगे लोग स्वयं इस बात को स्वीकार करते हैं कि गुटखा बनाने में जो सुपारी व कत्था प्रयोग होता है वह दोयम दर्जे का होता है लेकिन तम्बाकू कुछ रसायन व खुशबू डालकर इसे पाउच में पैक कर दिया जाता है। तम्बाकू के लती लोगों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इसमें जो सामग्री प्रयोग हुई वह क्या और किस किस्म की है उनका मजा तो निकोटीन व रसायन पूरा कर देता है।

गुटखा सरकारी कमाई का जरिया
गुटखा पर प्रतिबंध लगाने की बजाय सरकार उसमें मुनाफा खोज रही है। सरकार के सलाहकार यह बता रहे हैं कि गुटखा पर प्रतिबंध के बजाय यदि उस पर कर बढ़ा दिया जाए तो मुनाफा बढ़ सकता है। क्योंकि तम्बाकू के लती इसे हर कीमत पर खरीदेंगे। यही कारण है कि प्रदेश सरकार ने यूपी में गुटखा पर वैट 50 प्रतिशत कर दिया तथा तम्बाकू रहित पान मसाले पर वैट 13.5 प्रतिशत। इतना ही नहीं गुटखा पर यूपी में प्रवेश कर 5 प्रतिशत अतिरिक्त रखा गया है। इसके बाद भी इस कारोबार में किसी प्रकार की नर्मी नहीं आयी। अखिलेश सरकार गुटखा पर कर बढ़ाकर अधिक से अधिक मुनाफा कमा लेना चाहती है।

साउथ से होता है कच्ची सुपारी की आयात
यूपी को सबसे अधिक सुपारी की आपूर्ति साउथ से होती है। साउथ यानि बैंगलोर, केरल, चेन्नई व कालीकट से सुपारी यूपी में आयात होती है जिस पर सरकार आयात शुल्क लेती है। इससे भी सरकार को भारी आमदनी होती है। सुपारी के कारोबारी बताते हैं कि सुपारी कई किस्म की होती है और जिनके दामों में भी भारी अंतर होता है। गौर करें तो सरकार को इस कारोबार से तिहरा लाभ है। पहला तो सुपारी पर आयात शुल्क, फिर सुपारी की बिक्री पर वैट, सुपारी से बनने वाले गुटखा पर दोबारा वैट यानि एक ही उत्पाद पर तीन बार कर। यह सब होने पर सरकार इस कारोबार को बंद क्यों करना चाहेगी।

बाहरी राज्यों की भूमिका
गुटखा का निर्माण में प्रदेश के पड़ोसी राज्यों की कोई खास भूमिका नहीं है। आम तौर पर प्रदेश में सुपारी का कारोबार होता है जिसका बहुत बड़ा बजार है। राजधानी लखनऊ में रोजाना लाखों रुपये की सुपारी खरीदी व बेची जाती है जिसे गुटखा बनाने वाले कारोबारी प्रयोग करते हैं। अच्छी सुपारी तो पान में प्रयोग होती है तथा दोयम दर्जें की सुपारी गुटखा बनाने वाले लेते हैं। कहने को गुटखा बाहरी राज्यों से आता है लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं होता क्योंकि यूपी में गुटखे पर पांच प्रतिशत प्रवेश शुल्क है जिसे बचाने के लिए कारोबारियों ने छोटे स्तर पर कई फैक्ट्रियां यूपी के जिलों में ही लगवा दी हैं जिससे मुनाफा बढ़ गया है।

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English summary
Gutkha has been banned in 10 states. Karnataka is also going in same direction. What about Uttar Pradesh? Will Akhilesh Yadav put ban on Gutkha in state.
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