विश्व गेहूं उत्पादन संकट का तोड़ निकालेंगे सिरसा के गुरजीत मान
इस तरह की समस्या गेहूं उत्पादन करने वाले अन्य देशों में न हो इसलिए गेहूं के शोधकर्ता वैज्ञानिकों और जागरूक गेहूं उत्पादकों को साथ लेकर यह कार्यशाला आयोजित की जा रही है। इस कार्यशाला मे भारत के साथ साथ इथोपिया, सीरिया, चीन के किसान व लगभग सभी गेहूं उत्पादक देशों के कृषि वैज्ञानिक भी शामिल हो रहे हैं। इस कार्यशाला में भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र नई दिल्ली व पंजाब कृषि विश्व विद्यालय लुधियाना, भारतीय गेहूं अनुसंधान निदेशालय करनाल तथा हैदराबाद के गेहूं वैज्ञानिक भी विशेष रूप से शामिल होंगे। इसी कार्यशाला में सुश्री अमन मान सुपुत्री गुरजीत मान को भी आमंत्रि किया गया है। उन्होंने बताया कि अमन मान को उभरते हुए वैज्ञानिक के रूप में यह निमंत्रण मिला है। वे बायोटैक्रोलोजिस्ट हैं और इस कार्यशाला में उन्हें अधिक से अधिक वैश्विक वैज्ञानिक जानकारी हासिल करने का अवसर मिलेगा। यहां बताना जरूरी है कि डा. बॉरलोग हरित क्रांति के जनक थे और उन्होंने गेहूं उत्पादन के क्षेत्र में पूरे विश्व को नई दिशा दी थी।
अमेरिका से तालुक रखने वाले इस महान वैज्ञानिक को हरित क्रांति का जनका कहा जाता है जिन्हें नोबल पीस पुरस्कार भी हासिल किया था और भारत ने उन्हें पदम भूषण से उन्हें विभूषित किया था। उत्पादन पर संभावित संकट को देखते हुए गेहूं उत्पादन पर निगरानी एवं शोध करने वाली वैश्विक संस्था बीजीआरआई आगामी 1 सितंबर से 4 सितंबर तक चीन के बीजिंग में तकनीकि कार्यशाला आयोजित कर रही है। इसमें भारत की ओर से शिक्षित एवं जागरूक किसान के रूप में सिरसा के कृपाल पट्टी के किसान एवं वरिष्ठ पत्रकार गुरजीत सिंह मान भारत का नेतृत्व कर रहे हैं।
यह आयोजन बीजीआरआई और कोर्नेल विश्वविद्यालय अमेरिका के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। कार्यशाला में भाग लेने के लिए भारत से रवाना होने से पूर्व गुरजीत सिंह मान ने बताया कि विश्व स्तरीय संस्था ने अपने लंबे अध्ययन के बाद यह पाया है कि पूरे विश्व में गेंहू के उत्पादन पर अप्रत्याशित संकट आ सकता है। इसका एक अर्थ यह भी है कि गेहूं में दक्षिण अफ्रीका में रतुआ नामक एक रोग पाया गया है जिससे वहां पर इस उत्पादन में जबरदस्त गिरावट आई है। इस तरह की समस्या गेहूं उत्पादन करने वाले अन्य देशों में न हो इसलिए गेहूं के शोधकर्ता वैज्ञानिकों और जागरूक गेहूं उत्पादकों को साथ लेकर यह कार्यशाला आयोजित की जा रही है।
इस कार्यशाला मे भारत के साथ साथ इथोपिया, सीरिया, चीन के किसान व लगभग सभी गेहूं उत्पादक देशों के कृषि वैज्ञानिक भी शामिल हो रहे हैं। इस कार्यशाला में भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र नई दिल्ली व पंजाब कृषि विश्व विद्यालय लुधियाना, भारतीय गेहूं अनुसंधान निदेशालय करनाल तथा हैदराबाद के गेहूं वैज्ञानिक भी विशेष रूप से शामिल होंगे। इसी कार्यशाला में सुश्री अमन मान सुपुत्री गुरजीत मान को भी आमंत्रि किया गया है। उन्होंने बताया कि अमन मान को उभरते हुए वैज्ञानिक के रूप में यह निमंत्रण मिला है। वे बायोटैक्रोलोजिस्ट हैं और इस कार्यशाला में उन्हें अधिक से अधिक वैश्विक वैज्ञानिक जानकारी हासिल करने का अवसर मिलेगा। यहां बताना जरूरी है कि डा. बॉरलोग हरित क्रांति के जनक थे और उन्होंने गेहूं उत्पादन के क्षेत्र में पूरे विश्व को नई दिशा दी थी। अमेरिका से तालुक रखने वाले इस महान वैज्ञानिक को हरित क्रांति का जनका कहा जाता है जिन्हें नोबल पीस पुरस्कार भी हासिल किया था और भारत ने उन्हें पदम भूषण से उन्हें विभूषित किया था।