गुर्जरों ने तोड़ी 1100 साल पुरानी परंपरा, चंदीला की बेटी जाएगी नागर के घर
इस रवायत को तोड़ा है बुढै़ना गांव के चंदीला गोत्र के बाबू सिंह और तिगांव निवासी नागर गोत्र के लेखराज पहलवान ने। बाबू सिंह ने अपनी बेटी ज्योति की शादी लेखराज पहलवान के बेटे जनक राज के साथ तय की। भतौला गांव के निकट गुर्जर नेता रूप सिंह नागर के घर पर रिश्ते जोड़ने की पहल करने के लिए पंचायत हुई। पंचायत में गुर्जर समुदाय के महत्वपूर्ण लोग मौजूद थे। पंचायत ने दोनों गोत्रों के बीच जुडे़ इस रिश्ते को मंजूरी दे दी।
किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि पंचायत एक हजार साल पुरानी परंपरा को तोड़ देगी। गुर्जरों के बारे में कहा जाता है कि जाति और पंरपरा के नाम पर उनमें हद दर्जे का लगाव है।
गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के एनसीआर अध्यक्ष रणवीर सिंह चंदीला ने कहा कि इस मामले में चंदीला गोत्र ने पहल कर सहमति जताई थी। इसका निर्णय नागर और अधाना गोत्र पर छोड़ दिया गया था। तिगांव में रूप सिंह नागर की अध्यक्षता में हुई समाज की महापंचायत में इस पर मुहर लगा दी गई थी। उन्होंने कहा कि गुर्जर समुदाय की यह पहल मील का पत्थर साबित होगी। इस ऐतिहासिक फैसले से गुर्जर समुदाय के गोत्रों के बीच सामाजिक समरसता और अधिक मजबूत होगी।
मुख्यत: गुर्जर उत्तर भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में बसे हैं। गुर्जरों का नाम अफगानिस्तान के राष्ट्रगान में भी आता है। गुर्जरों के ऐतिहासिक प्रभाव के कारण उत्तर भारत और पाकिस्तान के बहुत से स्थान गुर्जर जाति के नाम पर रखे गए हैं, जैसे कि भारत का गुजरात राज्य, पाकिस्तानी पंजाब का गुजरात जिल और गुजराँवाला ज़िला, और रावलपिंडी ज़िले का गूजर ख़ान शहर। वैसे पाकिस्तन और अफगानिस्तान के गुर्जर इस्लाम मजहब अपना चुके हैं लेकिन उनकी तमाम परंपराएं हिंदू गुर्जरों की तरह ही है।