अखिलेश के यूपी में फुटपाथ पर रात बिताते हैं लाखों
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सपा सरकार गरीबों के लिए कई लोक लुभावन योजनाएं लाने के वायदे कर रही है। पांच वर्ष पूर्व प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने वाली माया सरकार ने भी कुछ ऐसे ही वायदे किए थे लेकिन राजधानी के फुटपाथ पर सोते सैकड़ों लोग बताते हैं कि उन्हें क्या मिला।
सरकार कन्या विद्याधन, लैपटॉप पर बेरोजगारी भत्ता बांटकर यह जता रही है कि वह गरीबों के लिए सोच रही है लेकिन गरीब से कोई पूछने वाला नहीं कि उसे क्या चाहिए। दिन पर कमर तोड़ मेहनत के बाद नंगे बदन फुटपाथ पर सो जाने वाले युवकों व बुजुर्गों को लैपटॉप नहीं कुछ और ही चाहिए।
देश के 60 करोड़ लोगों की आमदनी सिर्फ 20 रुपए प्रति दिन है। देश में हजारों नहीं बल्कि लाखों लोग खुले आसमान के नीचे फुटपाथों पर जाड़ा, गर्मी, बरसात की मार झेल रहे हैं। इनके पास न तो पीने का साफ पानी है, न तन ढकने के लिए कपड़ा। प्रदेश की राजधानी लखनऊ की हृदय स्थली कहे जाने वाले हजरतगंज में निकलिए तो पता चला कि अखिलेश यादव के यूपी में गरीबों की क्या दशा है।
राजनीतिक पार्टियों के नेता आलीशान एयरकंडीशन गाडिय़ों से परिवर्तन चौक व हनुमान सेतु होकर गुजर तो जाते हैं लेकिन कभी रूककर किसी गरीब से यह नहीं पूछते कि आज उन्हें पेट भरने के लिए रोटी मिली या पानी पीकर ही रात बिता रहे हैं। केन्द्रीय मंत्री बेनी बाबू व उनके साथ सलमान खुर्शीद की नजर में सब बराबर होते है। उनका कहना है कि मंहगाई के साथ-साथ अच्छी तनख्वाहे भी मिल रही है। इसीलिए मंहगाई का कोई असर नहीं लेकिन वेतन किसे मिल रहा है इस पर कोई नहीं बोलता।
बेनी प्रसाद वर्मा व सलमान खुर्शीद को देश के उन 60 करोड़ लोगों की फ्रिक नहीं जिनकी दिन भर की कमाई 20 रुपये है। उनको नहीं मालूम की चार व पांच हजार रुपए माह पर लाखों लोग नौकरी कर रहे है और अगर एक दिन वह अपने काम पर नहीं जाते तो घर में चूल्हा नहीं जलता। इन मंत्रियों को शायद नहीं मालूम है कि आज गरीब आदमी 18 रुपए किलों आटा, 90 से 100 रुपए प्रति किलो सरसों का तेल, 30 रुपये किलो चावल, 90 रुपए किलो अरहर की दाल, 38 रुपए किलो चीनी व 36 रुपए किलो दूध लेकर अपने घर को किस तरह चला रहा है।