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राह देखते रहे टंडन, राखी बांधने नहीं आयीं बहन मायावती

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Mayawati again forget Rakshabandhan for Lalji Tondon
लखनऊ। हर बहन का सपना होता है कि उसका भाई हो जो जीवन भर उसकी रक्षा का वायदा करे लेकिन प्रदेश की एक बहन ऐसी भी हैं जो सिर्फ एक साल के लिए ही बहन बनीं। भाई की कलाई पर चांदी की राखी बांधी और चारों ओर उनके व उनके भाई के नाम की चर्चा हुई लेकिन अगले वर्ष उनका भाई रक्षा पर्व पर उनकी राह देखता रहा लेकिन बहन नहीं आयी। बात हो रही है देश शक्तिशाली महिलाओं में से एक बहनजी यानि यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की।

मायावती ने 22 अगस्त 2002 में भाजपा नेता लालजी टंडन का अपना भाई बनाया और उन्हें चांदी की राखी बांधी। जब बहन जी ने टंडन का भाई बनाया तो ऐसा लगा कि बसपा व भाजपा के रिश्ते भाई बहन के रिश्तों की तरह मजबूत होते चले जाएंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

बहन का दिल एक ही वर्ष में अपने बुजुर्ग भाई से ऊब गया और उसने भाई से किनारा कर लिया। आज इस रिश्ते को टूटे दस वर्ष हो गए लेकिन भाई और बहन एक दूसरे की ओर देखना भी पसंद नहीं करते। राजनीतिक जानकारी मानते हैं कि वह रिश्ता अपने राजनैतिक उद्देश्य को साधने के लिए बनाया गया था और उद्देश्य की पूर्ति होते ही रिश्ता समाप्त हो गया।

भाई बहन तो उस दिन को याद नहीं करना चाहते लेकिन उनके करीबियों को आज भी वह दिन याद है जब मायावती लालजी टंडन के आवास पर राखी लेकर आयीं थीं और अपने बुजुर्ग भाई को रक्षा धागा बांधा। आम तौर पर देखा जाए तो कोई भी लड़की यह नहीं चाहती कि वह सिर्फ एक ही वर्ष के लिए बहन बने लेकिन पूर्व मायावती के लिए यह बात कोई मायने नहीं रखती। हालांकि प्रदेशवासी ही दिल्ली तक मायावती को बहनजी के नाम से पुकारते हैं लेकिन लालजी टंडन उन्हें बहन नहीं कहना चाहते।

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English summary
This year on Rakshabandhan again BSP supremo Mayawati hasn't came to tie rakhi on her so called brother Lalji Tondon's wrist.
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