काशीराम उर्दू-फारसी विवि अब सूफी संत चिश्ती के नाम पर
मंत्रिमण्डल के इस फैसले न मायावती के निर्णय को बदलने की कोशिश तो थी ही लेकिन मुसलमानों की भावनाओं को ठेस न लग इस लिए विवि का नाम मोइनुद्दीन चिश्ती के नाम पर रख दिया गया।
सपा सरकार एक-एक कर मायावती द्वारा पूर्व में लिए गए निर्णयों को बदलने में लगी हैं। हालांकि सपा के प्रत्येक फैसले के बाद बहुजन समाज पार्टी द्वारा की जाने वाली प्रतिक्रया में खुले शब्दों में यह कहा जा रहा है सरकार आने पर वह सरकार के वर्तमान निर्णयों को निरस्त कर देंगे। फिलहाल मंगलवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय का निर्णय लिया गया।
निर्णय के अनुसार काशीराम उर्दू फारसी विश्वविद्यालय अब बहुजन समाज पार्टी संस्थापक के नाम के बजाये सूफी संत चिश्ती के नाम से जाना जाएगा। इससे एक सप्ताह पहले की मंत्रिमंडल की बैठक में मायावती सरकार के फैसले को पलटते हुए अखिलेश यादव सरकार ने आठ जिलों और लखनऊ स्थित छत्रपतिशाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय का नाम बदल दिया था।
चिकित्सा विश्वविद्यालय अब किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है। बहुजन समाज पार्टी ने अपने संस्थापक के नाम से स्थापित काशीराम उर्दू फारसी विश्वविद्यालय का नाम बदले जाने पर कड़ी आपत्ति जतायी है और कहा कि उसकी सरकार आने पर इसका नाम पूर्ववत कर दिया जाएगा। विधानसभा में नेता विरोधीदल स्वामी प्रसाद मौर्य ने सरकार के इस निर्णय की आलोचना की और कहा कि अपनी खामियों को छिपाने के लिए सरकार ऐसे निर्णय ले रही है। उनकी सरकार आने पर यह सभी नाम पूर्ववत होंगे।