डॉक्टर ने कहा पेट में लड़की है, तो करा दिया गर्भपात, निकला लड़का
पीएनडीटी टीम के प्रभारी एवं उप सिविल सर्जन डॉ. नीरज बस्सी ने बताया कि रविवार रात जगाधरी के कपूर अस्पताल में जगाधरी निवासी 27 वर्षीय माया (काल्पनिक नाम) को उसके परिजन लेकर आए थे। माया करीब साढ़े तीन माह की गर्भवती थी। परिजनों ने डॉ. कपूर को बताया कि रात को हुई बरसात से आंगन में फिसलन थी, जिसमें माया का पांव फिसल गया और उसके पेट में दर्द होने लगा।
डॉ. कपूर ने इसकी सूचना डॉ. नीरज बस्सी को दी। उन्होंने डॉ. कपूर को महिला का गर्भ बचाने के लिए कहा। तमाम कोशिशों के बावजूद गर्भपात को नहीं बचाया जा सका। सुबह डॉ. बस्सी अस्पताल पहुंचे तो उन्होंने महिला की जांच की। जांच करने पर पता चला कि माया की बच्चेदानी में गर्भपात की गोलियां रखी थीं, जिन्हें एमटीपी यानि मेडिकल टर्मिनेशन प्रेगनेंसी कहते हैं।
इन्हीं गोलियों के कारण उसका गर्भपात हुआ जबकि परिजन उसकी इस हालत का कारण पांव फिसलना बता रहे थे। डॉ. नीरज बस्सी ने बताया कि उन्होंने लिंग की जांच की तो सामने आया कि वह लड़की नहीं बल्कि लड़का था। डॉ. बस्सी का मानना है कि जिस डॉक्टर ने माया के गर्भ में भ्रूण का लिंग जांचा होगा, वह स्पष्ट रूप से नहीं समझ सका कि यह लड़का है या लड़की।
उसने अपनी रिपोर्ट में लड़की बता दिया और परिजनों ने महिला का गर्भपात कराने के लिए एमटीपी की गोलियां दे दीं। पता चला है कि तीन साल पहले माया की अभी तक एक तीन वर्ष की बेटी है। कपूर अस्पताल में थाना शहर जगाधरी प्रभारी राजीव मिगलानी मौके पर पहुंचे और जांच की। डॉ. बस्सी ने बताया कि माया, उसके पति व परिजनों के खिलाफ एमटीपी और पीएनडीटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करने को कहा है। स्वास्थ्य विभाग को जानकारी देने के लिए डॉ. नीरज बस्सी व इंडियन मेडिकल एसोसिएशन व पीएनडीटी सेल के चेयरमैन डॉ. विक्रम भारती ने डॉ. कपूर की प्रशंसा की है।