करोड़पति जितेन्द्र कर रहे मनरेगा में मजदूरी
यह है सरकारी योजनाओं की हकीकत। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के रायबरेली में हो रहे इस घालमेल की जानकारी अधिकारियों को है या नहीं इस बारे में कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं। केन्द्र व प्रदेश सरकार दोनों ने ही स्वीकार किया कि मनरेगा में घोटाला हुआ लेकिन रायबरेली का नाम किसी ने नहीं लिया।
कांग्रेस महासचिव ने उत्तर प्रदेश के दौरे पर आकर कहा कि माया सरकार के अधिकारी मनरेगा का पैसा खा रहे हैं गरीब ग्रामीणों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है, लेकिन मनरेगा में घालमेल किस प्रकार किया गया इसकी पराकाष्ठा रायबरेली के जितेन्द्र कुमार के मामले की पड़ताल करने के बाद पता चलती है। जॉब कार्ड नम्बर यूपी-33-013-017-044/274 वाले जितेन्द्र मनरेगा में मजदूरी करते हैं तथा उन्हें प्रतिदिन भत्ता भी मिलता है।
कहने को जितेन्द्र गांव के उन गरीब हैं, जिनके घर में चुल्हा मनरेगा के पैसे से ही जलता है। यदि योजना का पैसा न मिले तो शायद जितेन्द्र का परिवार भूखा रहे। अब जरा जितेन्द्र की हकीकत पर नजर डालें तो पैरों तले जमीन सरक जाएगी। चार पहिया गाड़ी से चलने वाले जितेन्द्र की गाड़ी का ड्राइवर उनके गांव का प्रधान है। जितन्द्र की सम्पत्ति की भी जानकारी ले लीजिए।
जितेन्द्र के पास चार ईंट भट्टे हैं, एक पेट्रोल पम्प, आयशर ट्रैक्टर की एजेंसी और एक कोल्ड स्टोरेज भी है। रायबरेली के लालगंज ब्लॉक के ग्राम जिगासो के जितेन्द्र की हकीकत गांव के सभी लोग जानते हैं लेकिन बोलने को कोई तैयार नहीं है। भाजपा ने जितेन्द्र की हकीकत उजागर करते हुए केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश को मनरेगा में हो रहे घोटाले के प्रति आगाह किया।