जिन्न भगाने के लिए जलाया युवक का कान
करीब आठ माह तक बगैर कान इधर-उधर घूमने के बाद उसने सर्जन से सम्पर्क किया जिन्होंने उसे क्रत्रिम कान लगाए। चिकित्सक डा. विक्रम अहूजा के अनुसार कानों के माध्यम से उसे सुनने में किसी प्रकार की समस्या नहीं होगी। अजीम को आज भी वह दिन याद है जब उसके शरीर में जिन्न होने की बात कहते हुए एक तांत्रिक ने महिला की मद्द से उसके कान जला दिए। महिला ने उससे कहा था कि कान दोबारा उग जाएंगे लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
पढऩे लिखने के बाद भी लोग अंध विश्वास से ऊपर नहीं उठ पा रहे है। गत वर्ष अक्टूबर माह में अजीम नाम के युवक को अंध विश्वासन का फल झेलना पड़ा। अजीम कहते हैं कि उनके कान में अजीब सी सनसनाहट हुआ करती थी। सोते वक्त उन्हें लगता था कि उनके कान हिल रहे हैं यह बात जब उन्होंने घर वालों को बतायी तो उन्होंने पहले चिकित्सक फिर तांत्रिक का सहारा लिया।
तांत्रिक ने अजीम का इलाज करने की ठानी और उसके दो दोस्तों से उसके हाथ पकडऩे को कहा जिसके बाद तांत्रिक की महिला सहयोगी ने अजीम के कान जला दिए। महिला ने कहा कि जिन्न शरीर से निकल गया अब कान दोबारा उग आएंगे जबकि हकीकत में ऐसा कुछ नहीं हुआ। आठ माह तक अजीम अपने जले हुए कानों का इलाज कराते रहे लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ।
आखिरकार डा. विक्रम अहूजा व डा. आर के मिश्र ने उनके इलाज की ठानी। सर्जरी में सबसे पहले दन्त विषेशज्ञ डा. विक्रम अहूजा, प्लास्टिक सर्जन डा. आरके मिश्रा की टीम ने आपरेशन द्वारा इनके कानों की जगह आस्टियों इन्टीग्रेटेड इम्पलान्ट लगा दिए। डा. मिश्रा के अनुसार खोपड़ी की हड्डी में छेद करके, एबडमेंट और सिलीकॉन द्वारा इम्पलान्ट फिक्स किये गये और मरीज को 3 माह का आराम दिया गया। ताकि इम्पलान्ट अपनी जगह ठीक से जम जाय। 3 माह बाद मरीज के सिर के अनुपात में कानों को बनवाया गया।
सिलिकॉन द्वारा ऐसे कान बनाये जिन्हें निकाल कर धोया जा सकता है और चेहरे की खूबसूरती भी बढ़ जाती हैं। चिकित्सकों के अनुसार इन कानों का नाम आस्टियों इन्टीग्रेटेड बाई लैटरल डिटैचेबल ईयर हैं । इस प्रकार के प्रयास उत्तर प्रदेश में बहुत ही कम अस्पतालों में किये जा रहे हैं।