इससे पहले सऊदी अरब ने महिलाओं के ओलंपिक में भाग लेने की बात तो कही थी, लेकिन एक पेंच लगा दिया था कि कोई खिलाड़ी ओलंपिक लायक नहीं है। सऊदी अरब की सरकार ने घोषणा की है कि सऊदी अरब की दो खिलाड़ी लंदन ओलंपिक में भाग लेगी। वुदजान अली सेराज जूडो में औऱ सराह अतर 800 मीटर दौड़ में भाग लेंगी। दोनों अमेरिका में ट्रेनिंग ले रहीं हैं। इससे पहले कहा जा रहा था कि घुड़सवारी में सऊदी अरब की दाल्मा माल्हास लंदन ओलंपिक में शामिल हो सकती है। माल्हास अमेरिका में पैदा हुई हैं। 2010 में सिंगापुर यूथ ओलंपिक में उन्होंने कांस्य पदक जीता था।
अब साफ हो गया है कि सऊदी अरब की सूची में माल्हास का नाम नहीं है। यहां बता दें सऊदी अरब में महिलाओं का सार्वजनिक रूप से खेलने पर रोक है । महिलाओं के खेल के दौरान वहां कोई पुरुष मौजूद नहीं रह सकता। अति रुढ़िवादी सऊदी अरब में महिलाओं का खेलना बहुत ही संवेदनशील मुद्दा हैं। वहां महिलाओं को कार चलाना भी मना है। 2009-10 में महिलाओं के लिए निजी हेल्थ क्लब भी बंद कर दिए गए थे। लेकिन सऊदी अरब के ऩए शाह अब्दुला आधुनिक सोच वाले इंसान हैं। उन्हीं के प्रयास से सऊदी अरब में बदलाव की बयार बहने लगी है।
शाह अब्दुल्लाह धीरे धीरे सुधार कर रहे हैं।
सऊदी अरब, कतर और ब्रुनेई ही ऐसे तीन देश हैं जिन्होंने अपने देश से कभी महिलाओं को ओलंपिक में नहीं भेजा। कतर ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वह तीन महिलाओं, शूटर बाहिया अल हमाद, स्विमर नादा वाफा अराकजी और 100, 200 मीटर की कूद लगाने वाली नूर अल मालिकी को लंदन ओलंपिक में भेज रहे है। वहीं ब्रुनेई 400 मीटर बाधा दौड़ के लिए एक महिला धावक माजियाह माहुसिन को भेज रहा है।