अब इंडिया घूमने निकलें तो मॉरीशस की भी सैर करें
मॉरीशस के फॉरेन मिनिस्टर मिस्टर अर्विन बूलेल ने हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ एक मीटिंग के दौरान भारत में अपने इन्वेस्टमेंट पर दुगने टैक्स को लेकर बातचीत की और साथ ही खबर है कि उन्होने अपने दो आइलैंड भारत को देने का भी प्रस्ताव रखा है। हालांकि इस खबर से जुडी कोई पुख्ता जानकारी अभी तक नहीं मिली है।
ज्ञात हो कि भारत को मिलने वाला फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट मॉरीशस की तरफ से ही आता है जिसपर 1980 में दिल्ली द्वारा कर अनुबंध लगाया गया था। वर्ष 2000 से अप्रैल 2012 तक पूरे फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट का 38 प्रतिशत मॉरीशस के द्वारा ही हुआ है। भारत पिछले कुछ सालों से मॉरीशस को अपने कर प्रतिबंध का नवीनीकरण कराने के लिए कह रहा है क्योंकि भारत को लग रहा है कि उसका रिवेन्यू काफी कम हो रहा है।
इसी बात के चलते मॉरीशस ने भारत का सहयोग करते हुए उसे मॉरीशस की कैपिटल पोर्ट लुइस में स्टेशन बनाने की इजाजत दी है, इस तरह की इजाजत आज तक किसी भी देश ने नहीं दी।
मिस्टर बूलेल ने कहा कि दोनों सरकारों को इस पल में अपने अनुबंधों को और भी मजबूत कर लेना चाहिए ताकि कोई भी क्षेत्रिय कानून इसपर कोई और अनुबंध ना लगा पाए। उन्होने कहा "इस अनुबंध से मॉरीशस को किस भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होगा और ना ही किसी दूसरे देश को, जिनके साथ भारत का ये अनुबंध है।"
उन्होने ये भी कहा कि मॉरीशस ने एक ऐसा प्रस्ताव रखा है जिससे हर एक कंपनी को फायदा होगा लेकिन तभी जब उनके पास जायज इन्फ्रास्ट्रक्चर और स्टाफ होगा। उन्होने कहा कि दोनों देशो ने आगे आकर अपने नियम व शर्तों को सामने रखा है जिनपर दोनों पूरी तरह से सहमत हैं। उन्होने इन नियमों व शर्तों को पूरी तरह से जाहिर नहीं किया है। साथ ही ये भी कहा है कि अगले महीने 22 अगस्त से 24 अगस्त तक चलने वाली मीटिंग में इनपर चर्चा की जाएगी।
मिस्टर बूलेल ने इस बात से इंकार किया है कि मॉरीशस टैक्स बचाने के लिए अपने आइलैंड भारत को दे रहा है। उनके साथ दिल्ली की हाईकमीशन ने भी कहा कि इस तरह की कोई डील मिनिस्टर द्वारा नहीं की गई है। ये बिल्कुल गलत और झूठी है।