संगमा के लिए दी नेताम ने अपनी बलि
आपको बता दें कि कांग्रेस ने प्रणब मुखर्जी को अपना उम्मीदवार बनाया है और व्हिप के माध्यम से सबसे कहा गया है कि वे प्रणब का समर्थन करें। पर इस व्हिप का नेताम ने विरोध किया औऱ संगमा के पक्ष में जाकर खड़े हो गए जिसके बाद कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से बर्खास्त कर दिया।
हालांकि नेताम ने इस कार्रवाई को अन्याय करार दिया है और कहा है कि कांग्रेस के लिए अब आदिवासी नेता कोई मायने नहीं रखते हैं। नेताम ने कहा, संगमा का राष्ट्रपति चुनाव में खड़ा होना आदिवासी समाज के लिए बड़ी घटना है और वह समाज के साथ है। आदिवासी फोरम के तहत लंबे समय से सक्रिय नेताम ने कहा कि आदिवासी राष्ट्रपति के मुद्दे पर कांग्रेस नेताओं से बात करने की कोशिश की।
संगमा के साथ तीन दिनों तक संसद के केंद्रीय कक्ष में सोनिया का इंतजार किया। इसके बाद फोरम ने संगमा को मैदान में उतारने का ऐलान किया। तब तक न तो कांग्रेस ने कोई प्रत्याशी खड़ा किया था और न ही उनसे बात की। राष्ट्रपति चुनाव दलीय आधार पर नहीं है। इसलिए संगमा का साथ दिया है। कांग्रेस को संगमा पर आपत्ति थी तो बताना चाहिए था। पार्टी से निलंबन के बाद खुलकर सामाजिक जिम्मेदारियां निभाऊंगा। उन्होंने फिलहाल भाजपा या किसी और दल में शामिल होने से इन्कार किया।
सूत्रों ने बताया कि अरविंद नेताम जब पीए संगमा के नामांकन कराने पहुंचे उसके बाद कांग्रेस महासचिव बीके हरिप्रसाद ने नेताम को बुलाया और संगमा का साथ छोड़ने को कहा। वरिष्ठ आदिवासी नेता के इंकार करने पर कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने पार्टी से उनके निलंबन के ऐलान के साथ ही कारण बताओ नोटिस भी भेज दिया। जवाब के आधार पर नेताम के खिलाफ पार्टी से निष्कासन की कार्रवाई की जा सकती है।
वहीं हरिप्रसाद ने कहा कि राष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस ने प्रणब मुखर्जी का समर्थन करने का फैसला किया है लेकिन पार्टी के निर्देशों की अनदेखी कर नेताम ने पीए संगमा का समर्थन किया है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में पहले स्थानीय नेताओं से बातचीत की गई फिर नेताम के निलंबन की कार्रवाई की गई है।