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डिप्रेशन की शिकार बहनों ने छोड़ दिया खाना-पीना और नहाना

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Rohini sisters mamta and neeraja condition stable
दिल्ली (ब्यूरो)। पेट में अन्‍ना का दाना नहीं, सिर्फ चाय के भरोसे जिंदगी काट रहीं दो बहनों का जीवन नर्क से बदतर हो गया था। मां खाना खाने को कहतीं, तो मना कर देतीं, नहाने को कहतीं तो मना कर देतीं। आलम यह था कि दोनों बहनों की जिंदगी खत्‍म होने की कगार पर पहुंच गई, लेकिन पड़ोसियों और रिश्‍तेदारों ने समय रहते उन्‍हें अस्‍पताल पहुंचा दिया। अब हालत स्थिर है।

रोहिणी के एक फ्लैट से निकाली गई डिप्रेशन की शिकार दोनों बहनें ममता और नीरजा की हालत जस की तस बनी हुई है। दोनों बहनों की देखरेख कर रहे डाक्टरों का कहना है कि उन्हें ठीक होने में अभी समय लगेगा हालांकि उन्हें नीरजा के हालात में धीरे धीरे सुधार दिख रहा है। दिल्ली के अंबेडकर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि सोमवार को नीरजा ने बात की। उसने बताया कि उसे भूख नहीं लग रही है। उसने पढ़ने की इच्छा जतायी। दोनों को इंटेंसिव केयर यूनिट में रखा गया है।

महिला बाल विकास मंत्री ने जाना हाल

ममता और नीरजा की हालत जानने सोमवार को दिल्ली के महिला एवं बाल विकास मंत्री किरण वालिया भी पहुंचीं। उन्होंने दोनों बहनों के बारे में जाना और कहा कि वे मुख्यमंत्री से इस बाबत बात करेंगी।

चाय पर ही काट रही थीं जिंदगी

ममता और नीरजा की मां ने बताया कि वे बार-बार अपनी बेटियों को खाने के लिए कहती थी पर वे खाना नहीं खाती थीं और नहाने से इन्कार करती थीं। उन्होंने बताया कि दोनों बहनें सिर्फ चाय पर कई महीनों से थीं।

ममता के पति पर निर्मला ने मढ़ा आरोप

ममता और नीरजा की इस हालत के लिए निर्मला ने ममता के पति को दोषी बताया। उन्होंने कहा कि वह न तो मेरी बेटी को छोड़ता और न हमें ये दिन देखने पड़ते। मेरी बेटी शादी की खुशियां नहीं देख पाई। अपनी बेटी के पुत्र की देखभाल भी जन्म से वह ही कर रही हैं। निर्मला की मानें तो ममता को बड़ी चाह थी कि वह अपनी ससुराल में रहे। त्योहार पर पति के साथ मायके आए। सहेलियों से पति और ससुराल की चर्चा करे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इससे उसे गहरा आघात पहुंचा।

2003 में हुई थी ममता औऱ नीरजा के पिता की मौत

ममता व नीरजा के पिता राजेंद्र की मौत 2003 में हुई। तभी से घर के हालात और बिगड़ने लगे। निर्मला बताती हैं कि पति भी घर की ज्यादा देखभाल नहीं करते थे, लेकिन उनके समय नाते-रिश्तेदारों का आना-जाना था। पति की मौत के बाद धीरे-धीरे लोगों का घर आना कम होता चला गया। कभी कभार कोई करीबी रिश्तेदार दो-चार सौ रुपये मदद के नाम पर थमा जाता था। उसी से घर की गुजर बसर होती थी।

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English summary
The two malnourished sisters, who were rescued by relatives and neighbours in the capital, are in a stable condition, doctors attending on them said today.
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