भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यूनान चुनाव
इन चुनावों में मुख्य लड़ाई सीरिजा गठबंधन के 317 वर्षीय नेता तसिप्रास और रूढि़वादी दल न्यू डेमोकेसी पार्टी के 61 वर्षीय नेता एंटोनिस समारास के बीच है।
दुनिया भर के कई देश यूनानी जनता से कट्टरपंथी वामपंथी गठबंधन के पक्ष में मतदान ना करने की अपील कर चुके हैं। वो इसलिए क्योंकि वामपंथी गठबंधन यूनान को आर्थिक पैकेज दिये जाने का धुर विरोधी है। इस वजह से यूरो जोन में दूसरे देशों से सहायता को लेकर यूनान का भविष्य इस चुनाव पर निर्भर करता है।
यूरोसमूह के प्रमुख जयां-क्लोड जंकर ने हाल ही में चेतावनी देते हुए कहा था कि सीरिजा की जीत का यूरोजोन और अंतर्रारूष्ट्रीय बाजार पर अप्रत्याशित प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने जर्मनी के बिल्ड समाचारपत्र में एक खुला पत्र प्रकाशित करते हुए कहा कि यूनानवासी अपने एटीएम का प्रयोग इस वजह से कर पा रहे हैं क्योंकि हम उनमें यूरो डाल रहे हैं। अगर मितव्यता और सुधारों का विरोध करने वाले और इन्हें रोकने की बात करने वाले दल जीत जाते हैं तो हम यूनानवासियों को पैसे देना बंद कर देंगे।
भारत की दृष्टि से देखें तो अगर यूरोजोन की मदद करने वाला गठबंधन जीत गया तो ग्रीस में आर्थिक संकट और भी बदतर हालात में पहुंच जायेगा। इसका असर कई देशों पर पड़ेगा। भारत के परिप्रेक्ष्य में रुपया और ज्यादा कमजोर होगा और भारत से आउटसोर्सिंग कम होने का खतरा पैदा हो सकता है। यानी इसका सीधा असर आईटी सेक्टर पर पड़ सकता है। अगर भारत का आईटी सेक्टर कमजोर हुआ तो बाकी के सेवा क्षेत्र पर भी बुरा असर पड़ सकता है।