विकास लक्ष्यों के लिए बाहरी वातावरण तैयार कर रहा भारत: कृष्णा
अफगानिस्तान में हम निवेश, विकास में भागीदारी और क्षेत्रीय एकीकरण के जरिये काबुल को सहयोग दे रहे हैं। उन्होंने कहा जून के आखिर में हम दिल्ली में निवेशकों का एक सम्मेलन आयोजित करेंगे। मुझे उम्मीद है कि आप वहां जरूर आएंगे। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत व्यापार में वृद्धि, सहयोग में वृद्धि और संपर्क में वृद्धि के माध्यम से साझा समृद्धि के रिश्ते चाह रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि म्यामां के साथ भारत फिर से स्वाभाविक आर्थिक भागीदारी स्थापित करने के लिए प्रयासरत है। साथ ही वह दक्षिण पूर्व एशिया में ऐसे रिश्ते चाहता है
जिनके
साथ
नयी
दिल्ली
की
सुदृढ़
और
परिपक्व
आर्थिक
वचनबद्धता
हो।
उन्होंने
कहा
हम
मजबूत
आर्थिक
संबंध
तैयार
कर
रहे
हैं
और
चीन
के
साथ
परिष्कृत
बाजार
तक
पहुंच
चाहते
हैं।
पश्चिम
एशिया
में
हमारा
निर्यात
यहां
से
हो
रहे
आयात
की
तुलना
में
तेजी
से
बढ़ा
है।
कृष्णा
ने
कहा
मध्य
एशिया
से
गैस
दक्षिण
एशिया
लाने
की
कल्पना
हकीकत
में
बदल
रही
है,
लेकिन
इस
क्षेत्र
के
साथ
हमारा
जुड़ाव
हाइड्रोकार्बन
के
अलावा
भी
होगा।
अमेरिकी
विदेश
मंत्री
हिलेरी
क्लिंटन
ने
पिछले
साल
चेन्नई
में
पहली
बार,
नए
रेशम
मार्ग
(न्यू
सिल्क
रूट)
की
अपनी
अवधारणा
से
दक्षिण
और
मध्य
एशिया
के
आर्थिक
एकीकरण
की
बात
कही
थी
और
तब
से
वह
इस
पर
जोर
भी
दे
रही
हैं।
कृष्णा ने कहा ऑस्ट्रेलिया से अफ्रीका तक हमारा कारोबार खनिज और उर्जा के नए स्रोत तलाश रहा है लेकिन हम खुद को खास तौर पर अफ्रीका में उद्योग, अवसंरचना और मानव संसाधन के विकास में भागीदार के तौर पर देखते हैं। कृष्णा ने कहा उत्तरी अमेरिका गैस के एक महत्वपूर्ण स्रोत के तौर पर उभरा है और विश्व बाजार में तेल के संदर्भ में उसमें व्यापक संभावना है। हमें उम्मीद है कि अमेरिका सरकार भारत को गैस के आयात की अनुमति देने में उदार रूख रखेगी। उन्होंने कहा यह हमारी आपसी सहमति के आर्थिक एवं उर्जा सुरक्षा के हितों में होगा।
हम व्यापार और आर्थिक व्यवस्था का नया तानाबाना तैयार कर रहे हैं जो जापान से कनाडा तक होगा। विदेश मंत्री ने कहा कि एक दशक पहले नजदीकी, विश्वास और भरोसे के अभाव में अमेरिकी उद्योग उसकी रक्षा जरूरतों के लिए असंभव लगने वाला एक सहयोगी था। कृष्णा ने कहा अब बीते चार साल में अमेरिकी कंपनियों के साथ नौ अरब अमेरिकी डॉलर के रक्षा अनुबंध हैं। हम इन संबंधों का आगे विस्तार चाहते हैं। इसका दायरा बढ़ कर प्रौद्योगिकी हस्तांतरण से ले कर संयुक्त अनुसंधान, विकास और उत्पादन तक होना चाहिए।