शिक्षा देने वाले शिक्षक ही नहीं शिक्षित: कपिल सिब्बल
केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की 59वीं बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह विडम्बना है कि आप हमेशा बच्चों की शिक्षा की बात करते हैं। हम यहां शिक्षकों की शिक्षा की बात कर रहे हैं। दूसरे शब्दों में, हमने इस तथ्य को स्वीकार कर लिया है कि हमारा शैक्षिक समुदाय उतना शिक्षित नहीं है जितना कि होना चाहिए।
उन्होंने इस तथ्य को भी स्वीकार किया कि केंद्र और राज्य सरकारें भारत के भविष्य के निर्माण के लिए शिक्षा के पेशे में उंची गुणवत्ता के लोग हासिल करने में विफल रही हैं। सिब्बल ने कहा कि हमने निजी स्वार्थ के लिए शिक्षा के पेशे के महत्व को कम कर दिया है। मेरा मानना है कि राष्ट्र के रूप में हमें अपनी सोच बदलने की आवश्यकता है। हमें अपनी नीति पर पुनर्विचार की जरूरत है।
सीखने की गुणवत्ता में सुधार के लिए शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता पर बल देते हुए सिब्बल ने कहा कि यदि हम अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं तो हमें शिक्षा के पेशे में सर्वश्रेष्ठ मेधा शक्ति चाहिए। उन्होंने केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्यों से मुद्दों पर गूढ़ चर्चा करने को कहा और शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार के लिए उनकी सलाह आमंत्रित की।
अगले वर्ष से आईआईटी एवं अन्य केंद्रीय संस्थाओं के लिए साझा प्रवेश परीक्षा (जेईई) आयोजित करने की आलोचना को सिरे से खारिज करते हुए सरकार ने आज कहा कि यह आईआईटी परिषद की बैठक में सहमति से मंजूरी किया गया और सात आईआईटी में से चार से सेनेट का समर्थन प्राप्त था।
आईआईटी के पूर्व छात्रों एवं शिक्षक संघों की ओर से इस पहल का विरोध करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे पत्र का जिक्र किये जाने पर मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने इसे पूरी तरह से तथ्यों को गलत ढंग से पेश किये जाने का मामला करार दिया। सिब्बल ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने आईआईटी परिषद की बैठक में कहा था कि अगर इसके विरोध में एक स्वर भी है तब वह इस प्रस्ताव पर आगे नहीं बढेंगे।
उन्होंने कहा कि परिषद में आईआईटी, आईआईआईटी और एनआईटी शामिल हैं। एक भी स्वर इस प्रस्ताव के खिलाफ नही था। इसे सर्व सम्मति से मंजूर किया गया। इसके बाद ही मैंने इसे आगे बढ़ाया। मंत्री ने कहा कि मैंने यह भी कहा कि इस विषय पर आईआईटी सेनेट के विचार को भी शामिल किया जायेगा। और इस पर तब तक आगे नहीं बढ़ा जायेगा जब तक इनकी राय पर विचार नहीं किया जायेगा। इनकी राय को ध्यान में रखा जायेगा।