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यहां लड़की पैदा होने पर बजती है थाली, गर्भ में मारे जाते हैं लड़के

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Girl
रविन्‍द्र सिंह
हम अपने पाठकों को ऐसी कड़वी हकीकत से रूबरू करवाने जा रहे हैं जो विकास की अंधी दौड़ में भाग रहे मेट्रो शहरों के लोगों के लिए अनसुनी है। क्या कोई लड़की पैदा होने पर थाली बजाता है? राजस्थान के पश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्र में बाड़मेर के समदड़ी क्षेत्र के सांवरड़ा, करमावास, सुइली, मजलव लाखेटा इत्यादि गावों में ऐसा ही होता है। कारण है यहां की महिलाओं के रग-रग में बस चुका वैश्यावृति का धंधा। समदड़ी क्षेत्र के आधा दर्जन गांवो में जिस्मफरोशी रोजमर्रा की हकीकत है। वेश्यावृति के दलदल में फंसे इस क्षेत्र की सबसे बड़ी ओर आश्चर्यजनक हकीकत जान आप भी आश्चर्य चकित रह जाएंगे।

यहां गर्भ में मारे जाते हैं लड़के

यहां पर जो होता चला आ रहा है वह निश्चित रूप से अशिक्षा, गरीबी का परिणाम है। क्षेत्र में देह व्यापार से जुड़ी महिलाएं लड़कों को लिंग परीक्षण के पश्चात गर्भ में ही खत्म कर देती है और लड़की का जन्म इनके लिए खुशियां लेकर आता है। आमतौर पर लड़कों के जन्म पर राजस्थान में बजने वाली थाली लड़की के जन्म पर बजाई जाती है। यही नहीं हालात यह है कि 400 घरों वाली आबादी वाले करमावास, सावरंड़ा क्षेत्र में मात्र 30 फीसदी ही पुरुष है बाकी सभी महिलाएं है।

जो अपने परिवार को देह बेच कर पालती है। लोग बताते है कि कई बार राज्य सरकार को इस गंदे धंधे के बारे में बताया गया लेकिन एक संस्था के अतिरिक्त यहां कोई नहीं आया जो इन्हें 21 वीं सदी के साथ जोडऩे की कोशिश करे। समदड़ी कस्बे में स्थित राजकीय अस्पताल में ये महिलाएं लिंग परीक्षण भी आवश्यक रूप से कराती हैं। इसके पीछे मकसद है कि कहीं उनके गर्भ से लड़का जन्म ना ले ले। लड़की पैदा होगी तो उनके धंध को आगे बढ़ाएगी। इसलिए ये महिलाएं लड़कियां पैदा होने पर थाली बजाकर उसका स्वागत करती है। यदि गर्भ में लड़का होता है तो उसे इस दुनिया में आने से पहले ही मार दिया जाता है।

पेट के लिए कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा। यह सोच अधिकतर महिलाएं देह व्यापार के धंधे में चली जाती हैं। सावरड़ा और करमावास में एक जाति विशेष के लोगों की संख्या ज्यादा होने से यह धन्धा बनता ही जा रहा है। इससे आसपास की सामाजिक संस्कृति पर पड़ रहे दुष्प्रभाव से अधिकांश ग्रामीणों को तनाव का सामना करना पड़ रहा है। इन सभी गांवो में सड़कों के किनारे इस धन्धे में लिप्त युवतियां सजधज कर आने जाने वाले राहगीर को न्यौता देती है। 15 से से लेकर 45 साल तक उम्र की महिलाऐं इस धंधे में लिप्त हैं। जिसमें परिवार के पुरूष एवं वृद्ध महिलाएं ग्राहकों को तलाशने में इनकी मदद करती हैं।

इतिहास ने मजबूर किया

बाड़मेर जिले में सामन्ती प्रवृति पुराने समय से रही है। जिले के सिवाना क्षेत्र के गांवो में जागीरदारी तथा जमींदारी ने अपनी अय्याशी के लिए गुजरात राज्य के कच्छ, भुज, गांधीधाम, हिम्मतनगर आदि क्षेत्रों से साहुकार जाति की महिलाओं को लाकर सिवाना के खण्डप, करमावास, सांवरड़ा,मजल, कोटड़ी, अमरखा आदि गावों में दशकों पूर्व लाकर बसाया था। सामंतवादी प्रथा समाप्त होने के बाद गुजरात से लाई इन साहुकार साटिया जाति की महिलाओं में पेट पालने की मुसीबत हो गई, दो जून का खाना जुटाना मुश्किल हो गया। सामंतो ने निगाहें फेर ली। इन महिलाओं ने समूह बनाकर देह व्यापार का कार्य आरम्भ किया। साटिया जाति के ये महिलाऐं पिछले 40 वर्षों से देहव्यापार के धंधे में लिप्त है। इन महिलाओं द्वारा शादी नहीं की जाती। मगर ये अपनी बच्चियों को जन्म दे देती है। आज इन गावों में लगभग 450 महिलाएं खुले आम देह व्यापार करती है।

अशिक्षित रह जाती हैं इनकी बेटियां

सांवरड़ा गांव में राजीव गांधी स्वर्ण जंयती पाठशाला की स्थापना हुई। यहां वर्तमान में 28 छात्र छात्राएं का नामांकन है। मगर औसत उपस्थिति 1314 से अधिक नहीं है। वेश्याओं का मानना है कि लड़कियों को पढ़ा लिखाकर क्या करना है। आखिर इन्हे देह व्यापार का ही कार्य करना है। जो बच्चे विद्यालयों में अध्यनरत है उन बच्चों के पिता के नाम की बजाए माता का नाम ही अभिभावक के रूप में दर्ज है। कईयों को तो पिता का नाम भी नसीब नहीं होता।

करमावास, सांवरड़ा तथा मजल गांवों में लम्बे समय से नगर वधुओं द्वारा देह व्यापार किया जाता है। वहां इन सेक्स वर्कर के निवास है। उन स्थानों के आसपास उच्च समाज के लोग नहीं रहते। गांव के बाहर ही नगर वधुओं की बस्तियां है। इन तीन गांवों में 400 परिवार नगर वधुओं के है। शिक्षित सेक्स वर्कर के नाम पर एक मात्र युवती है, जो राजीव गांधी पाठशाला में पैराटीचर नियुक्त है। नगर वधुएं बालिकाओं के साथ भेदभाव होता है। हेय दृष्टि से देखा जाता है। इस कारण बालिकाओं को विद्यालय भेजने में कोताही बरती जाती है। यदि इन बालिकाओं को अलग से शिक्षा की व्यवस्था मिलेगी तो आसानी से इनका उत्थान कर वहां उन्हे शिक्षित कर समाज तथा शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा जा सकता है।

देह व्यापार में लिप्त महिलाएं अशिक्षित है, जिसके कारण स्वास्थ्य सम्बधित जानकारियां इन्हें नहीं है। इन गावों में जाने से अक्सर जनप्रतिनिधी तथा प्रशासनिक अधिकारी परहेज करते है। जिसके कारण महिलाओं के लिए किसी प्रकार की सरकारी योजना का प्रचार-प्रसार तथा जन जागरण अभियान नहीं हो पाते। इनके कारण यहां कि अधिकतर महिलाएं बिमारियों का शिकार हो रहै हैं। सरकारी स्कीमों के तहत सरकार द्वार करोड़ों-अरबों रूपयों पानी की तरह बहाना कहां तक जायज है जबकि देश में महिलाएं इतनी बुरी स्थिती में भी जी रही हैं।

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English summary
Its really hard to belive, Male infants are killed and one celebrate if there is a girl child. Shocked! Its a fact of Barmer district of Rajasthan. The reason is prostitution.
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