डायरेक्शन का कोर्स पूरा कर फिल्म बनायेंगे तिहाड़ के कैदी
कुछ ऐसी ही इस अनूठी पहल को अंजाम दिया है देश के प्रतिष्ठित ओपन विश्वविध्यालय इग्नू ने। जिसने हाल ही में तिहाड़ जेल में संचालित हो रहे दर्जन भर से अधिक वोकेशनल/डिप्लोमा कोर्स करने वाले कैदियों को कैंपस प्लेसमेंट के जरिए रोजगार दिया है।
आपको बता दें की इग्नू ने तिहाड़ जेल में एक बार फिर से नयी पहल करते हुए फिल्म एडिटिंग, विडियो प्रोडक्शन, स्क्रिप्टिंग, डायरेक्शन जैसे अलग अलग कोर्सो की शुरुआत की है। जहां इग्नू से जुड़े अधिकारी इसमें फिल्म एडिटिंग और डायरेक्शन को अपना सबसे उम्दा कोर्स मान रहे हैं साथ ही उनका ये भी कहना है की इन दोनो कोर्स को जेल में बंद लोगों द्वारा हाथों हाथ लिया जायगा। आपको बताते चलें की दिसम्बर 2011 में इग्नू की इस सोंच पर तिहाड़ जेल में फिल्म क्लब का उद्घाटन किया गया था, जिसका मकसद परफार्मिग एंड विजुअल आर्ट्स को बढ़ावा देना है।
साथ ही जेल से जुड़े सूत्रों की माने तो जल्द ही तिहाड़ जेल में इग्नू का नया सत्र शुरू होने वाला है। जिसमें फिल्म एडिटिंग और फिल्म डायरेक्शन जैसे दो नए कोर्स की लोकप्रियता कैदियों के बीच सबसे अधिक होने की संभावना जताई जा रही है। तिहाड़ में कैदियों के बीच पठन पाठन की भावना को बढ़ावा देने के लिए पुस्तकालय और स्टडी सेंटर स्थापित किया गया है। इग्नू ने नए सत्र के शुरू होने से पहले ही तिहाड़ में पुस्तकों के अलावा अलग अलग पढ़ने वाली सामग्री भेज दी है। साथ ही बहुत जल्द जेल की बेरक नंबर तीन में प्रसिद्ध फिल्म निर्माता सत्यजीत रॉय के नाम पर एक कक्ष भी स्थापित किया जा सकता है।
इग्नू से जुड़े सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया कि कैदियों को फिल्म एडिटिंग और डायरेक्शन में प्रशिक्षित करने के लिए एफटीआई पुणे से प्रशिक्षक बुलाए जाएंगे। तिहाड़ जेल के प्रवक्ता से मिली जानकारी के अनुसार इस पहल का मकसद कैदियों के भीतर सकारात्मक और रचनात्मक विकास को विकसित कर उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ना है। आपको बता दें की कैदियों के भीतर कला की प्रतिभा को देखते हुए हर जेल में एक रॉकबैंड भी बहुत जल्द ही गठित किया जा सकता है।
अगर जेल से जुड़े अधिकारियों की माने तो इसके अलावा जेल में तिहाड़ आयडल की भी तैयारी चल रही है। साथ ही निजी ऑडियो कंपनियां तिहाड़ के कलाकार कैदियों का एलबम रिलीज करने को तैयार हैं। शायद आपको जान कर आश्चर्य हो की अब तक इग्नू से प्राप्त डिग्री के बाद करीब 70 कैदियों को कैंपस प्लेसमेंट के जरिए बेहतर पैकेज पर नौकरी का ऑफर मिल चुका है।