बच्चियों को कोख में मारने वाली हरियाणा की मस्ताना क्लीनिक सील
इस सम्बन्ध में जिला यमुनानगर के उपायुक्त अशोक सांगवान के निर्देशानुसार सिविल सर्जन डा. वी.के.शर्मा व उप सिविल सर्जन (पीएनडीटी) की अध्यक्षता में गत दिवस एक गुप्त सूचना के आधार पर न्यू सरस्वती आवासीय कालोनी में चल रहे मस्ताना क्लीनिक पर रेड की गई। इस रेड के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पाया कि गीता पत्नी सुशील कुमार आयु लगभग 25 वर्ष को इस क्लीनिक बेहोशी की हालात में मिली जिसकी एमटीपी लगभग 15 मिनट पहले ही हुई थी।
पीएनडीटी के नोडल अधिकारी डा. मेजर नीरज बस्सी ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि जगाधरी में न्यू सरस्वती कालोनी के पास स्थित मस्ताना क्लीनिक में गर्भपात किया जा रहा है। संदेह है कि यहां कन्या भ्रूण हत्या की जा रही है।
सूचना मिलते ही वह टीम पुलिस के साथ वहां पहुंची और अस्पताल के संचालक से स्वास्थ विभाग की टीम ने गर्भपात करने से स बन्धित पूछताछ की तो वह चिक्तिसक चूप-चाप खडी रही और क्लीनिक के अन्य स्टाफ ने भी कोई जवाब नहीं दिया।
स्वास्थ्य विभाग की टीम को मस्ताना क्लीनिक से भ्रूण का कुछ हिस्सा ही मिला व इसके साथ गर्भपात करने के खून से सने औजार और कपडे बरामद किए गए जिनको स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जब्त कर लिया है। टीम ने यहां पर महिला के परिजनों को भी तलाश किया किन्तु परिजनों का कहीं कोई पता नहीं चला।
कुछ देर बाद दो युवक नर्सिंग होम पहुंचे जिन्होंने खुद को उस महिला को रिश्तेदार बताया। महिला को सिविल अस्पताल में रेफर कर दिया गया। मस्ताना क्लीनिक की संचालक डा. पारूल का कहना है कि उक्त महिला के पेट में बच्चा खराब हो गया था इसलिए महिला को बचाने के लिए गर्भपात करना पडा।
डा. बस्सी ने बताया कि डा. पारूल एक बीएमएस डाक्टर है, इस डिग्री पर वह महिलाओं को उपचार कर सकती है किन्तु गर्भपात नहीं कर सकती। डा. बस्सी ने बताया कि गर्भपात या तो सरकारी अस्पताल में या सरकार द्वारा प्राईवेट मान्यता प्राप्त अस्पताल में ही कर सकते हैं।
किसी भी प्राईवेट अस्पताल को मान्यता लेने के लिए एमटीपी की टै्रनिंग अनिवार्य है व गंभीर स्थितियों में गर्भपात करने के लिए पीएनडीटी समिति से मंजूरी लेना अनिवार्य है। यह सारी कमियां मस्ताना क्लीनिक में पाई गई हैं।
जिला उपायुक्त अशोक सांगवान ने बताया कि कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए जिला में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं और हर क्लीनिक पर कडी नजर रखी जा रही है। अल्ट्रासांऊड मशीनों के संचालकों पर भी कडी नजर प्रशासन रखे हुए है और जो व्यक्ति कन्या भ्रूण हत्या के मामलों में दोषी पाया जाएगा उसे बिल्कुल बकशा नहीं जाएगा। उक्त मामले में नियामानुसार कानूनी कार्यवाही की जा रही है।
सिरसा में टीम तैयार, 15 दिन में काम करने लगेगा ट्रेकिंग सिस्टम वहीं जिला सिरसा में अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर लिंग भ्रूण की जांच की शिकायत मिलने पर जिला सिरसा प्रशासन द्वारा गठित कमेटी द्वारा रेड की जाएगी। इस कमेटी में एक प्रशासनिक अधिकारी, दो डॉक्टर, आईएमए तथा एनजीओ के एक-एक प्रतिनिधि शामिल होंगे।
उन्होंने बताया कि जिला सिरसा के उपायुक्त ने डॉक्टरों से अपील की कि वे अपने-अपने अल्ट्रासाउंड केद्रों पर सभी प्रकार का रिकॉर्ड भी पूरा रखें। रिकॉर्ड पूरा न पाने पर पीएनडीटी एक्ट के तहत निश्चित रूप से कार्यवाही होगी। उन्होंने बताया कि आगामी 15 दिन में जिला के सभी अल्ट्रासाउंड मशीनों पर ट्रेकिंग सिस्टम कार्य करना शुरू कर देगा। पूरे जिला में 39 अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर 50 मशीनों को पंजीकृत किया गया है और संबंधित डॉक्टरों द्वारा 50 मशीनों के पैसे भी जमा करवा दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि किसी भी मोबाइल अल्ट्रासाउंड मशीन को कार्य करने की इजाजत नहीं दी जाएगी जिस भी परिसर के लिए अल्ट्रासाउंड मशीन का रजिस्ट्रेशन किया गया है उस मशीन से पंजीकृत विशेषज्ञ परिसर में ही अल्ट्रासाउंड कर सकेगा।
ट्रैकिंग सिस्टम से सभी अल्ट्रासाउंड केंद्रों के संचालकों को रिकार्ड सुरक्षित रखने में आसानी होगी वहीं प्रशासन की निगरानी टीम को भी अपना काम करने में आसानी मिलेगी। उन्होंने कहा कि जिला के सीएमओ कार्यालय में लगभग दस लाख रुपए की लागत से इन ट्रेकिंग सिस्टम पर कंट्रोल के लिए मोनिटर सिस्टम स्थापित किया जाएगा।
इस मोनिटर सिस्टम के माध्यम से प्रशासनिक अधिकारी किसी भी तरह का संदेह लगने पर उस अल्ट्रासाउंड का रिकार्ड जांच सकेगी। उन्होंने कहा कि जिला सिरसा प्रशासन द्वारा समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को कन्या भ्रूण हत्या के बारे में जागरूक किया जाता है, लेकिन अब इस सामाजिक बुराई को खत्म करने के लिए आधुनिक तकनीक को भी अपनाना चाहिए।