यूपी बोर्ड की 4 किताबों को एनसीईआरटी ने अयोग्य ठहराया
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के अनुसार समय के अनुसार पाठयक्रमों में परिवर्तन किया जाना अनिवार्य होता है लेकिन यूपी बोर्ड के अधिकारी यह नहीं मानते। अधिकारियों के लिए तो पूर्व से जो पाठयक्रम चला आ रहा है वही पर्याप्त था। यूपी बोर्ड के इंटरमीडिएट में पढ़ाई जाने वाली चार किताबों काव्यांजलि, गद्यगरिमा, कथा भारती, संस्कृत दिग्दर्शिका को पढऩे-पढ़ाने के हिसाब से अयोग्य माना और इन्हें प्रकाशित करने से साफ मना कर दिया। परिषद ने इस बारे में लिखित आदेश भी जारी किया था।
एनसीईआरटी की ओर से यूपी बोर्ड के सचिव को 13 जनवरी 2010 को एक पत्र लिखा गया था, जिसमें पुस्तक के बारे में परिषद के निर्णय का उल्लेख था इसके बाद भी ये किताबें लगातार पढ़ाई जा रही हैं। इस संबंध में विधान सभा के वरिष्ठ सदस्य ओम प्रकाश शर्मा का कहना है कि इस मामले पर संज्ञान लिया जाएगा। उनका कहना है कि वह खुद इस मामले में मुख्यमंत्री से मिलकर बात करेंगे।
शिक्षक नेताओं का मामले में हस्तक्षेप करना उनकी मजबूरी है लेकिन मामला प्रकाश में आने के बाद से ही छात्रों में असमंजस की स्थिति पैदा हो गयी। हाईस्कूल व इण्टर के छात्र यह सोच रहे हैं कि आखिर वह उपरोक्त किताबों को पढ़ें या नहीं क्योंकि यदि बोर्ड परीक्षा तक कोई निर्णय आ गया तो कहीं उनके लिए मुसीबत न बढ़ जाए। फिलहाल मामले को लेकर न तो बोर्ड अधिकारी ही कुछ कह रहे हैं और न ही विद्यालयों के प्रबंधक ही छात्रों को माकूल जवाब दे पा रहे हैं।