जनरल के सेक्स स्कैंडल को सरकार ने कोर्ट से छुपाया!
कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने जनरल बिक्रम सिंह की नियुक्ति को हरी झंडी दी थी। यह मामला सन 2008 कांगो में भारतीय शांति सैनिकों द्वारा यौन दुव्यवहार का है। हाल ही में दायर एक जनहित याचिका में सिंह को इसका जिम्मेदार ठहराते हुए उनकी सेना प्रमुख की दावेदारी को चुनौती दी गयी थी।
याचिका के जवाब में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उस घटना के समय सिंह यूएन के पेरोल पर डिप्टी फोर्स कमांडर तथा इंटरनेशन सिविल सर्वेंट थे। इस कारण उनको जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। जनरल सिंह पर कांगों यौन दुर्व्यवहार, कश्मीर में फर्जी मुठभेड़ और उनकी पुत्रवधू के पाकिस्तानी नागरिक होने का आरोप लगता रहा है।
सूत्रों के अनुसार ऐसा भी बताया जा रहा है कि जब यह मामला तूल पकड़ना नजर आया तो सरकार ने ब्रिगेडियर इंद्रजीत नारायण पर यौन दुर्व्यवहार और अनुशासनहीनता का ठीकरा फोड़ दिया। दूसरी तरफ राष्ट्र की इंटरनल ओवरसाइट सर्विस (ओआईओएस) की रिपोर्ट कुछ और ही बया कर रही है।
कांगो में ओआईओअस को भारतीय सैनिकों द्वारा किए गए यौन दुर्व्यवहार की शिकायतें मिली थी। अंग्रेजी समाचार पत्र ने दस्तावेजों के आधार पर दावा किया है कि कोर्ट को गुमराह किया गया है। यौन दुर्व्यवहार में फंसी भारतीय सैन्य टुकड़ी का सीधा नियंत्रण जनरल सिंह के हाथों में था। उस समय सिंह ईस्टर्न डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) भी थे।