आखिर मई या सितंबर में ही क्यों करते हैं पायलट हड़ताल?
खैर इसके पीछे कुछ भी कारण हो सकता है या फिर इसे महज एक इक्तेफाक भी कह सकते हैं, मगर जिस बात पर ध्यान दी जानी चाहिए वो यह है। ज्यादातार हड़तालें गर्मियों या सर्दियों से ठीक पहले होती हैं, जब लोग छुट्टियों या फिर शादी ब्याह के सिलसिले में आवागमन करते हैं। हवाई यात्रा की मांग बढ़ने से मई या सितंबर में हड़ताल से यात्रियों को अधिकतम परेशानी होती है। इससे प्रबंधन और सरकार पर ज्यादा दबाव बनता है।
इसके अलावा एयर इंडिया की हड़ताल के चलते निजी एयरलाइनों की चांदी हो जाती है और अनापशनाप किराया बढ़ाने का मौका मिल जाता है। मालूम हो कि इंडियन एयरलाइंस के विलय के बाद एयर इंडिया में तकरीबन हर साल कोई न कोई हड़ताल होती है। आपको याद दिलाते चलें कि मौजूदा हड़ताल से पहले मई, 2011 में भी एयर इंडिया के पायलटों ने 10 दिन तक हड़ताल की थी। तब व्यालार रवि नागरिक विमानन मंत्री थे।
इसके बाद 8 मई 2010 में एयर इंडिया पायलटों ने दो दिनों की हड़ताल की थी। उस वक्त नागरिक विमानन मंत्रालय की कमान प्रफुल्ल पटेल के हाथ थी। 8 सितंबर 2009 में एयर इंडिया पायलट हड़ताल पर गए थे। चार दिन चली इस हड़ताल के दौरान भी प्रफुल्ल ही नागरिक विमानन मंत्री थे। 8 सितंबर 2009 में ही जेट एयरवेज के पायलटों ने भी पांच दिन की हड़ताल की थी।