छात्र लोन पर सिब्बल और अहलूवालिया में तलवार खिंची
सिब्बल ने जहां शिक्षा वित्त निगम का प्रस्ताव योजना आयोग द्वारा खारिज करने से बौखलाए हुए हैं वहीं मोंटेक ने कहा कि है कि शिक्षा लोन के लिए सरकारी मदद देना ठीक नहीं है। मोंटेक चाहते है कि विश्वविद्य़ालयों में फीस बढ़े और वित्तीय सहायता बंद की जाए। उन्होंने कहा, छात्रों को फंड दिया जाए पर वह उनके एडमिशन के लिए हो न कि विश्वविद्य़ालयों के लिए। इसी बात से कपिल सिब्बल मोंटेक से नाराज हैं और उनके कदम को गलत करार दे रहे हैं।
सिब्बल ने कहा, मंत्रालय योजना आयोग के दरवाजे पर दस्तक दे रहा है कि वह निगम की स्थापना करें। पर मेरे दोस्त मोंटेक इन मुद्दों पर मुझसे थोड़े ज्यादा लकीर के फकीर हैं। मुझे यह बात इसलिए कहनी पड़ी क्योंकि उन्होंने निगम के विचार को खारिज कर दिया।
सिब्बल ने योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया की मौजूदगी में यहां एक समारोह में कहा, सरकार जब तक ऋण की गारंटी नहीं देती तब तक कोई संस्था ऋण नहीं देगी। सरकार का मौजूदा कर्ज ढांचा न तो छात्रों के लिए ऋण लेने के लिहाज से सकारात्मक है, न ही बैंकों की ओर से कर्ज की पेशकश करने के लिहाज से। उन्होंने कहा, हमें दरअसल पूरे ढांचे को उदार बनाना होगा। इस संदर्भ में सिब्बल ने सुझाव दिया कि वित्तीय संस्थानों को शिक्षण संस्थानों की स्थापना के लिए कर्ज देते समय नरम ऋण नीति अपनानी चाहिए। सिब्बल ने कहा, मेरा मानना है कि बैंकों को शिक्षण संस्थानों को लंबे समय के लिए कर्ज देने के लिए कहा जाना चाहिए जिनका भुगतान 20 से 25 साल की अवधि में हो। शिक्षण संस्थान बनाने के लिए कोई भी 12 प्रतिशत या 16 प्रतिशत की दर से उधार नहीं लेगा और संस्थान की स्थापना नहीं करेगा जहां कि आपको सात साल में कर्ज लौटाना है।