मॉरीशस के नाम पर फिर बाजार धड़ाम
हैरत की बात है कि सरकार कभी अपना रवैया साफ नहीं करती । पिछली बार जब बाजार धड़ाम हुआ तो सरकार ने अगले दिन ही खंडन कर दिया कि ऐसी कोई योजना नहीं है। सारी दुनिया में विदेशी निवेश के लिए होड़ मची हुई है। भारत का यह हाल है यहां सरकार कुछ ऐसी करतूतें करती रहती है कि जिससे बाजार धड़ाम हो जाता है। अगले दिन सरकार खंडन भी करती है। हालांकि इस बार खंडन नहीं आया है, लेकिन उम्मीद है सोमवार को बाजार शुरू होने से पहले सरकार का फिर खंडन आ जाएगा।
उद्योग मंडल एसोचैम ने पहले ही बजट में कर चोरी और कालेधन के खिलाफ आयकर कानून के प्रावधानों को सख्त करने के कुछ प्रस्तावों पर गंभीर आपत्ति उठाई थी। उद्योग मंडल का कहना था कि मारीशस के रास्ते होने वाले निवेश को कर के दायरे में लाना है, तो इसके लिए इन देशों के साथ कर संधि में संशोधन करना उचित होगा।
घरेलू कानून में संशोधन के जरिए इन संधियों के प्रावधानों को खारिज करना सही नहीं है। इससे भारत की छवि पर गलत असर पड़ेगा। गौरतलब है वित्त राज्यमंत्री एस एस पलानिमणिक्कम के संसद में कहा था कि सरकार मॉरीशस के साथ कर संधि की समीक्षा कर रही है, जिसके चलते विदेशी निवेशकों ने जमकर बिकवाली की।
बंबई स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स 320 अंक गिरकर चार माह बाद 17,000 से नीचे आ गया। कारोबार की समाप्ति पर सेंसेक्स 16,831.08 पर बंद हुआ, जो 23 जनवरी के बाद इसका न्यूनतम स्तर है। अब देखना है सोमवार को बाजार खुलेंगे उससे पहले सरकार कोई सकारत्मक बयान जारी करती है या नहीं । अगर सरकार इसी रुख पर कायम रही तो बाजार का नीचे जाना तय है।