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किताबों से आगे नहीं निकल सकते कंप्‍यूटर-लैपटॉप

By Ajay Mohan
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Juhi Pandey with books
जूही पांडेय

उस दुनिया की कल्पना करना कितना भयावह है, जिसे किताबों के बिना जीना पड़ता है। सच्चाई यही है कि आज भी विश्व की करीब पचास फीसद जनता पुस्तकविहीन अंधकारमय जीवन जीने के लिए विवश है। यह भी इतना ही बडा सच है कि ऐसे अज्ञान और अंधकार भरे समाज के लिए किताब पहुंचाने की कोशिशें भी वैश्विक स्तर पर जारी हैं।

भारत में चल रहे ‘सर्वशिक्षा अभियान’ जैसे प्रयास दुनिया के तमाम निर्धन देशों में चल रहे हैं। इस दुनिया को आज हम जिस रूप में देख रहे हैं, उसके पीछे किताबों की बहुत बड़ी भूमिका है। दुनिया के तमाम धर्मों में एक या अधिक किताबों की जरूरत हमेशा से रही है, जिनसे उनके अनुयायियों को धर्म की राह पर चलने के लिए एक
रास्ता मिलता है।

एक पवित्र वस्‍तु है पुस्‍तक

आज भी लोगों के लिए किताब अगर एक पवित्र किस्म की चीज है तो वह इसीलिए कि प्रारंभ में किताब का अर्थ धार्मिक किताब ही होता था, जिसके पैर से छू जाने या गिर जाने से अनर्थ की आशंका होती थी और धर्म का अपमान लगता था। मजहबी किताबें दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबें हैं और शायद हमेशा रहेंगी। वजह यह कि पढना आये या ना आये अपने धर्म की किताब हर व्यक्ति घर में जरूर रखना चाहता है। सुख-दुख के अवसरों पर इनकी महत्ता रहती है, घर को ये एक किस्म की पवित्रता प्रदान करती हैं।

आज के तेजी से बदलते संचार क्रांति के युग में बहुत से लोग कहते हैं कि अब किताबें अप्रासंगिक हो जाएंगी, वजह यह कि किताबों की जगह लेने के लिए बाजार में बहुत सी चीजें आ गई हैं सीडी, डीवीडी, ई-बुक, और इसी किस्म की बहुत सी ईजादों ने किताब का स्थान लेने की कोशिश की है। आज भी पन्ने पलटकर, कहीं भी बैठकर, लेटकर, यात्रा करते हुए यानी किसी भी तरह किताब पढ़ने से बेहतर कुछ नहीं है।

आधुनिक संसाधनों ने जो सबसे बडा काम किया वो यह कि किताबों की उम्र और पढने का दायरा बढा दिया। आज दुनिया के लाखों पुस्तकालय डिजिटलाइज्ड हो रहे हैं, आनलाइन हो रहे हैं, हजारों की तादाद में ऐसी वेबसाइटें मौजूद हैं जिन पर दुनिया भर की असंख्य किताबों के बारे में जानकारी ही हासिल नहीं की जा सकती, बल्कि डाउनलोड कर किताबें पढी भी जा सकती हैं। अभी तक अप्राप्य और दुर्लभ समझी जाने वाली असंख्य किताबें आज इंटरनेट की दुनिया में या तो उपलब्ध हैं या ऐसा करने के प्रयास वैश्विक स्तर पर चल रहे हैं। इस तरह संचार क्रांति किताबों की दुनिया के लिए वरदान सिद्ध हो रही है।

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English summary
Here is an article by Juhi Pandey which is telling story of books in the era of Computers and Laptops.
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