सत्य साईं के बिना आर्थिक तंगी में जी रहा पुट्टापर्थी
सत्य साई की पहली पुण्यतिथि पर देश-विदेश में बाबा को श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। सत्य साईं के मंदिरों में भजन-कीर्तन के कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। बात अगर पुट्टापर्थी की करें तो आज यहां 50 हजार से ज्यादा लोग पहुंचे हुए हैं। सच पूछिए तो भक्तों की ऐसी बारिश पूरे एक साल बाद हुई है। इस एक साल के सूखे में किस तरह यहां के लोगों ने जीवन काटा है, यह सिर्फ वही जानते हैं।
पुट्टापर्थी जहां सत्य साईं के भक्तों का मेला लगा रहता था, वहां इस पूरे साल सन्नाटा जैसा पसरा रहा। सप्ताह में एक आद बार भीड़ बढ़ी तो बढ़ी वरना वो कई सप्ताह तो ऐसे ही निकल गये। यहां की जनसंख्या करीब 10 हजार है और साईं के जाने के बाद से इन सभी के भविष्य पर काले बादल छा गये हैं। अनंतपुर के इस छोटे से कस्बे के लिए दो सबसे बड़ी चिंताएं हैं-
पहली- कस्बे की अर्थव्यवस्था पूरी तरह सत्य साईं के मंदिर पर निर्भर है। यहां आने वाले भक्तों की संख्या पर निर्भर है। सत्य साईं के निधन के बाद भक्तों की संख्या में 90 फीसदी गिरावट दर्ज हुई है।
दूसरी- सत्य साईं के ट्रस्ट पर अंतर-कलह जारी है। इस ट्रस्ट का भविष्य में क्या होगा यह कोई नहीं जानता। फिलहाल सत्यसाईं के आशीर्वाद से 132 देशों में स्थित ट्रस्ट के सभी घटक व संस्थान सुचारु रूप से चल रहे हैं।
सत्य साई की महासमाधि
मंदिर
के
कुलवंत
हॉल
में
सत्य
साईं
की
महासमाधि
बनाई
गई।
आज
यहां
समाधि
के
ठीक
सामने
सत्य
साईं
की
मूर्ति
स्थापित
की
जायेगी।
इस
मूर्ति
का
अनावरण
आज
ही
होगा।
इस
पर
भी
हाल
में
काफी
विवाद
हुए।
खैर
विवाद
अपनी
जगह
हैं,
लेकिन
यहां
हम
आपको
बताना
चाहेंगे
कि
बाबा
के
भक्त
क्रिकेटर
सचिन
तेंदुलकर
ने
संगमरमर
की
मूर्ति
लगवाने
के
लिए
पैसा
देने
की
बात
कही
थी।
अब
पैसा
सचिन
से
लिया
गया
या
नहीं
इस
बात
का
खुलासा
ट्रस्ट
ने
नहीं
किया
है।
इस
बीच
ट्रस्ट
के
कई
सदस्यों
ने
बाबा
की
मूर्ति
स्थापित
करने
का
विरोध
भी
किया
था।
इस
मुद्दे
पर
सत्य
साईं
के
भतीजे
व
ट्रस्ट
के
सदस्य
आरजे
रत्नाकर
ने
हाल
ही
में
कहा
था
कि
अगर
एक
बार
मूर्ति
स्थापित
हो
गई
तो
रोज
वहां
धूप-द्वीप
और
नैवेद्यम
करना
होगा
और
ऐसा
होने
पर
अन्य
धर्मों
के
लोग
आना
बंद
कर
सकते
हैं।
यहां
कई
सदस्यों
पर
ट्रस्ट
के
पैसे
के
गलत
इस्तेमाल
के
भी
आरोप
लगाये
गये,
लेकिन
ट्रस्ट
ने
खुलकर
सभी
खबरों
का
खंडन
किया।
ज्यादा दिन नहीं टिकते विदेशी पर्यटक
खैर अगर ट्रस्ट के विवाद को अलग रख दिया जाये तो भी पुट्टापर्थी की आर्थिक स्थिति दिन पर दिन गिरती जा रही है। पुट्टापर्थी के एक लॉज मालिक वेंकटेश चिन्नप्पा के मुताबिक पहले यहां विदेशी पर्यटक आते थे और दो-दो, तीन-तीन सप्ताह रहते थे, लेकिन अब एक-दो दिन रुकते हैं। सत्य साईं की पूजा करते हैं और लौट जाते हैं। इस वजह से यहां के होटल व लॉज के बिजनेस पर खासा असर पड़ा है। विदेशी आते हैं और कहते हैं कि अब यहां वो उत्साह नहीं रहा, जो बाबा के समय में होता था।
किराना दुकानदार शिवाकुमार रेड्डी बताते हैं कि पहले यहां लोग सिर्फ साईं के नाम पर आते थे। पुट्टापर्थी उन धार्मिक स्थलों की तरह नहीं था, जहां लोग मंदिर में ईश्वर के दर्शन करने जाते हैं। यहां ईश्वर का जीवंत रूप लोग देखते थे, इसलिए साल भर भक्तों का तांता लगा रहता था। तब पुट्टापर्थी के लोगों में जरा भी तनाव नहीं दिखता था। आज स्थिति पूरी तरह बदल गई है। यहां के लोगों के माथे पर तनाव की लकीरें साफ दिखाई देती हैं। लेकिन फिर भी पूरे पुट्टापर्थी को विश्वास है कि सत्य साईं की कृपा उन पर जिंदगी भर बनी रहेगी और उनका जीवन कभी गर्त में नहीं जायेगा।