लगभग एक साल बाद अपनों की गोद में आये भारतीय बच्चे
उस समय बच्चों के दादा-दादी तथा विदेश राज्यमंत्री परनीत कौर वहां मौजूद थी। नार्वे की अदालत ने कल दोनों बच्चों को उनके चाचा को सौंपा। दोनों प्रवासी भारतीय (एनआरआई) बच्चों को सौंपे जाने के साथ ही महीनों से चल रहा विवाद समाप्त हो गया। इन बच्चों को पिछले साल नार्वे के अधिकारियों ने अपने कब्जे में ले लिया था।
भारत के कूटनीतिक दबाव के बाद बच्चे अपने घर लौट सके हैं। बच्चों का स्वागत करते हुए विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने इसके लिये नार्वे को धन्यवाद दिया और कहा कि बच्चे भारत के हैं। उन्होंने कहा कि वे बच्चे भारत के हैं। वे भारतीय नागरिक हैं। मुझे विश्वास है कि बच्चों के चाचा उनका ध्यान रखेंगे।
उन्होंने कहा कि मैं नार्वे सरकार को धन्यवाद देता हूं और विशेष रूप से विदेश मंत्री का जिनके रचानात्मक रूख से इस मानवीय मसले का समाधान हो पाया है। मैं इस प्रकार के निर्णय के लिये नार्वे की न्यायिक प्रणाली को भी धन्यवाद देता हूं।