सपा के राज में चलेगी माया की सैंडल!
सत्यपथ द्वारा लिखित और मुकेश वर्मा के निर्देशन में तैयार इस नाटक का मंचन जनवरी में होना था लेकिन चुनाव करीब होने के कारण इस पर रोक लगायी गयी थी। जिला प्रशासन ने बिना कारण बताये इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। नाटक में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में हुये घोटाले के अलावा कई ऐसी बातों पर व्यंग्य थे जो माया सरकार की ओर इषारा करते थे।
इसके मंचन पर जब प्रतिबंध लगाया गया तो राजधानी के कला प्रेमियों ने इस प्रतिबंध पर नाराजगी तथा कई जगहों पर विरोध भी हुआ। श्री वर्मा का कहना है कि नाटक पूरी तरह से राजनीतिक व्यंग्य है जो दर्शकों को हंसाता है और राजनीतिक व्यवस्था पर सोचने को भी मजबूर करता है। नाटक की कहानी मायागढ़ पर आधारित है जिसकी राजकुमारी अपने पिता को सत्ता से हटा कर खुद गद्दी पर बैठ जाती है।
राजकुमारी को तरह-तरह की सैंडल पहनने और खरीदने का शौक था। वह अपने एक विश्वासपात्र को सोने की सैंडल खरीदने के लिए विदेश भेजती है। एक दिन राजकुमारी का पसंदीदा हाथी सोने की सैंडल को खा जाता है और उसके पेट में दर्द शुरू हो जाता है। चूकि सोने की सैंडल राजकुमारी को प्रिय है इसलिये उसे हाथी के पेट से निकलवाने के उपाय शुरू किये जाते हैं। अंतत हाथी के पेट से सोने की सैंडल निकल आती है और उसके साथ ही निकलते हैं कई राज जिन्हें राजकुमारी ने प्रजा से छुपा कर रखा था। नाटक के निर्देशक का कहना है कि यह नाटक दर्षकों को अवश्य पसंद आएगा।