राहुल जी यूपी में हार की समीक्षा में ये बातें याद रखियेगा
उत्तर प्रदेश में मिली करारी हार की समीक्षा के लिए कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने पार्टी पदाधिकारियों की एक बैठक गुरुवार को बुलाई है। इस बैठक में वो उन वजहों खोजने की कोशिश करेंगे जो उनकी हार का कारण बनीं। खैर अगर कांग्रेस के चुनावी अभियान की समीक्षा की जाये तो कई कारण हैं, जो राहुल की हार का कारण बने।
अगर हम पार्टी की हार के कारण खोजें तो निम्न कारण दिखाई देते हैं-
कमजोर युवा संगठन
सभी जानते हैं कि समाजवादी पार्टी ने यूपी विधानसभा पर कब्जा अपनी युवा शक्ति के बल पर किया है। सच पूछिए तो सपा के सभी युवा संगठन कांग्रेस के युवा संगठनों के आगे कहीं ज्यादा मजबूत हैं।
इसका कारण भी राहुल गांधी ही हैं। राहुल ने अपनी यूथ कांग्रेस में लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाते हुए संगठन के पदाधिकारियों का चुनाव कराया। यानी कार्यकर्ताओं में से कुछ लोग चुनाव में खड़े हुए और उनके पक्ष या विपक्ष में अन्य कार्यकर्ताओं ने वोट डाले।
वैसे तो लोकतांत्रिक प्रक्रिया सबसे ठोस प्रक्रिया होती है, लेकिन किसी पार्टी विशेष के लिए यह उतनी ही घातक साबित हो सकती है, जैसी की कांग्रेस के लिए हुई। यूथ कांग्रेस में चुनाव मे अपने-अपने प्रत्याशी उतारने के चक्कर में कई गुट बंट गये और उन गुटों में एक दूसरे के प्रति द्वेष की भावना भी देखने को मिली। अंत में जब विधानसभा चुनाव आया तो बाहर से भले ही कांग्रेस एक दिखती रही हो, लेकिन अंदर से वो कई गुटों में बंटी रही।
बड़बोला पन
पार्टी के कई पदाधिकारी जैसे रीता बहुगुणा जोशी, दिग्विजय सिंह, प्रमोद तिवारी और मनीष तिवारी जैसे कई दिग्गज हैं, जो चुनाव भर एक से एक विवादास्पद बयान देते रहे। कभी अन्ना के खिलाफ तो कभी माया के खिलाफ, कभी भाजपा के खिलाफ तो कभी बाबा रामदेव के खिलाफ। और राजनीतिक भाषा में कहें तो इसे निगेटिव कैम्पेन कहते हैं। यही निगेटिव कैम्पेन 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार का कारण बना था।
ओवर कॉन्फिडेंस
रीता बहुगुणा जोशी हों या दिग्विजय सिंह और या फिर कोई अन्य। हर नेता मंच पर खड़ा होकर हमेशा यही कहता रहा कि अगली सरकार कांग्रेस की ही आ रही है। इससे कई बार आम जनता ने उनके बयानों की खिल्ली भी उड़ाई, वो इसलिए क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष के बयानों का न तो कोई आधार था और न कोई मजबूती।