किंगफिशर के कर्मचारियों पर लटक रही छंटनी की तलवार
कंपनी ने अंतरराष्ट्रीय सेवाएं पूरी तरह समेटने सहित घरेलू परिचालन में व्यापक कमी की है। कंपनी भरोसेमंद उड़ान समय सारणी व पुनरुद्धार योजना पेश करने में विफल रही है। इसके कारण नागरविमानन महानिदेशक (डीजीसीए) व नागर विमानन मंत्रालय ने उसे कड़ी चेतावनी दी है। कंपनी पर 76 करोड़ रुपये सेवाकर बकाया है जिसकी वसूली वह पहले ही यात्रियों से कर चुकी है।
केन्द्रीय उत्पाद व सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) चेयरमैन एस.के. गोयल ने बताया कि किंगफिशर पर 76 करोड़ रुपये बकाया है और हम उनसे बात कर रहे हैं। वे इस महीने करीब 10 करोड़ रुपये जमा करेंगे। उन्होंने कहा कि उन्होंने (एयरलाइन ने) हमें बताया है कि वे नकदी की किल्लत का सामना कर रहे हैं और उन्हें बकाया का भुगतान करने के लिए कुछ और मोहलत की दरकार है।
गोयल के अनुसार किंगफिशर की बातचीत से लगता है कि वह 31 मार्च को चालू वित्त वर्ष के खत्म होने से पहले केवल 5 से 10 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी। कंपनी चाहती है कि उस पर कोई दंडात्मक कार्रवाई फिलहाल न की जाए। उन्होंने कहा कि सेवाकर विभाग किंगफिशर के बैंक खातों पर अक्तूबर से बार बार रोक लगाता रहा है और फिलहाल कंपनी के 40 बैंक खातों पर रोक लगी है।