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उम्र विवाद में फंसे राजा भैया की सफाई में दम नहीं

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Raghuraj Pratap Singh
लखनऊ। उम्र विवाद में फंसे यूपी के जेलमंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने अपनी सफाई मीडिया के सामने पेश की है। उन्होंने कहा कि पहली बार साल 1993 में जब विधानसभा चुनाव लड़ा था तो उनकी उम्र 26 साल थी जो कि संवैधानिक रूप से सही है। प्रमाणपत्र में छपी उम्र के लिए जिम्मेदार वह नहीं है बल्कि वोटर लिस्ट को वह टाईपिस्ट हैं जिसने गलत टाईप किया है। राजा भैया ने मुस्कुराते हुए कहा कि आखिर कोई मैं महिला तो हूं नहीं जो कि अपनी उम्र को छिपाऊं।

गौरतलब है कि इस बार के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन के दौरान राजा भैया ने अपनी उम्र 38 साल बताई है। यानी कि वह जब पहली बार 1993 में विधायक का चुनाव लड़े थे तो उनकी उम्र मात्र 19 साल थी। जबकि चुनाव लड़ने के लिए कम से कम व्यक्ति की उम्र 25 साल होनी चाहिए। यानी कि या तो तब और या तो अब राजा भैया झूठ बोल रहे हैं।

यही नहीं राजा भैया की सफाई में कोई तर्क नजर नहीं आ रहा है क्योंकि केवल टाईपिस्ट की गलती से ऐसा हुआ है यह किसी के गले के नीचे नहीं उतर रहा । आपको बता दें कि राजा भैया ने 1985 में यूपी बोर्ड से हाईस्कूल पास किया था। बोर्ड में उनकी जन्मतिथि 31 अक्तूबर 1969 दर्ज की गयी है। इस हिसाब से पहली बार 1993 में विधायक बने रघुराज प्रताप सिंह तब महज 24 साल के ही थे। जो कि चुनाव लड़ने के लिए कम से कम एक साल कम है। ऐसे में राजा भैया का उम्र विवाद आसानी से उलझता नहीं दिख रहा है जो अखिलेश यादव सरकार के लिए मुसीबत बन सकती है।

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English summary
Its Typing mistake, what can I do said Raghuraj Pratap Singh on Age Issue.
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