आरपार की लड़ाई के मूड में येद्दयुरप्पा
वैसे भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने किसी भी दबाब में निर्णय लेने से इंकार करते हुए येद्दयुरप्पा को संयम बरतने व पार्टी के साथ सहयोग करने की सलाह दी है। कर्नाटक में सरकार बनाने के बाद से ही भाजपा लगातार संकटों से जूझती रही है। पहले येद्दयुरप्पा के खिलाफ पार्टी में बगावत होती रही और जब लोकायुक्त की रिपोर्ट के बाद येद्दयुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाया गया तो अब वह वापसी के लिए बगावती तेवर अपनाए हैं। उच्च न्यायालय से लोकायुक्त रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों को खारिज किए जाने के बाद येद्दयुरप्पा फिर से मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। इसके लिए उन्हें अपनी पसंद के मौजूदा मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा को भी हटाने से गुरेज नहीं है। येद्दयुरप्पा को मनाने के लिए गडकरी के साथ अरुण जेटली भी सक्रिय हैं। राज्यसभा चुनावों में कोई गड़बड़ न हो इसलिए भाजपा नेतृत्व ने येद्दयुरप्पा को समझाने-बुझाने के लिए एस. गुरुमूर्ति का भी सहारा लिया है।
दरअसल भाजपा नेतृत्व राज्य में दबाव में फैसला करते हुए नहीं दिखना चाहती है इसलिए वह येद्दयुरप्पा को फिलहाल शांत रहने की सलाह दे रहे हैं। दिल्ली में कर्नाटक के एक दर्जन सांसदों ने सुषमा स्वराज से मुलाकात कर अपनी बात रखी है। इस पूरे मामले में भाजपा नेतृत्व की चिंताएं तब ज्यादा बढ़ गई जब राज्य से भाजपा के दो अधिकृत उम्मीदवारों बासवराज पाटिल व आर रामकृष्ण के साथ येद्दयुरप्पा खेमे से बीजे पुत्तास्वामी ने तीसरे उम्मीदवार के रूप में पर्चा भर दिया। पुत्तास्वामी येद्दयुरप्पा व सदानंद गौड़ा के राजनीतिक सचिव रह चुके हैं। हालांकि बाद में अनुशासनहीनता के आरोप में पुत्तास्वामी को पार्टी से निलंबित कर दिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए जल्द ही पार्टी के केंद्रीय संसदीय बोर्ड की बैठक हो सकती है। दरअसल येद्दयुरप्पा को हटाने का निर्णय बोर्ड ने ही लिया था और अगर उनकी वापसी होनी है तो फैसला भी वहीं होगा। इस घटनाक्रम के बीच ही कर्नाटक के मौजूदा मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा ने येद्दयुरप्पा समर्थकों की 48 घंटे के भीतर पार्टी विधायकों की बैठक बुलाने की मांग खारिज कर दी। उन्होंने कहा, बुधवार को विधानसभा में राज्य का बजट पेश करने के बाद ही बैठक बुलाई जा सकती है।