राजनीतिक दबाव के चलते कपास निर्यात पर सरकार बैकफुट पर
इस फैसले से घरेलू व वैश्विक बाजार में स्थिति में सुधार की उम्मीद है, खास तौर पर तब जबकि अंतरराष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति, अंतरराष्ट्रीय कपास संघ के साथ-साथ चीन व बांग्लादेश ने पाबंदी की आलोचना की थी। इसके अलावा आंध्र में कपास की खरीदारी शुरू कर चुके भारतीय कपास कॉरपोरेशन ने उम्मीद जताई है कि किसान इसकी बिक्री दोबारा शुरू करेंगे और जिनिंग इकाइयां काम शुरू करेंगी। आंध्र में कीमतें 3300 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पहुंच गई थी।
कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि मैं इस फैसला का स्वागत करता हूं। किसानों व निर्यातकों के हक में तत्काल फैसला लेने के लिए मैं प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री व अन्य सहयोगियों को धन्यवाद देता हूं। वैश्विक बाजार में भारत की साख काफी महत्वपूर्ण है।
वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने भी इसका स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि 'कृषि जिंसों के निर्यात की नीति अचानक नहीं बदली जानी चाहिए। हमने आयात से मात्रात्मक प्रतिबंध हटा दिया है और निर्यात पर भी इस तरह का मात्रात्मक प्रतिबंध नहीं होना चाहिए।'
पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कपास निर्यात पर केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ कड़े तेवर बरकरार रखा है। उन्होंने साफ कहा कि अगर सरकार ऐसे ही रोज नीतियां बदलती रही तो गुजरात के किसानों को आगे भी घाटा होता रहेगा। हालांकि कपास निर्यात पर रोक हटाने के ऐलान के बाद गुजरात कॉटन जिनर्स एसोसिएशन ने अपनी हड़ताल खत्म करने का ऐलान कर दिया है।