सावधान हो जाएं कांग्रेस और बीजेपी, आ रहा है तीसरा मोर्चा
इस तीसरे मोर्चे की शुरुआत करने के संकेत पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और यूपीए सरकार को समर्थन देने वाली तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने दे दिए हैं। जो यूपीए सरकार को आंख दिखाकर पंजाब में क्षेत्रीय पार्टी अकाली दल और उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय दल समाजवादी पार्टी की मुख्यमंत्री की ताजपोशी में शामिल होने पहुंचेंगी।
हाल ही में जितने भी चुनावी नतीजे आए हैं उन्होंने राष्ट्रीय पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस के समीकरण बदल दिए हैं। इस समय उत्तर प्रदेश सहित, बिहार, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा जैसे राज्यों में गैर कांग्रेसी और गैर बीजेपी पार्टियों की राज्य सरकारे हैं। जो यहां मजबूती से शासन कर रही हैं। राज्यों में अपनी सरकार को मजबूती देकर अब यहां की सरकारों ने दिल्ली का रुख करना शुरू कर दिया है।
अगर आंकड़ों पर गौर करें तो 2014 में होने वाले लोकसभा चुनावों में तीसरा मोर्चा तैयार कर रहे इन क्षेत्रीय दलों का दावा काफी मजबूत नजर आ रहा है। बात शुरू करते हैं उत्तर प्रदेश से। यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं। जहां क्षेत्रीय दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय पार्टियों कांग्रेस और बजपा से ज्यादा मजबूत हैं। यहां सपा इस बार पूर्ण बहुमत के साथ अपनी सरकार बना रही है। इससे पहले 2007 में बसपा ने पूर्ण बहुमत से अपनी सरकार बनाई थी।
पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस और भाजपा बुरी हालत में हैं। यहां माकपा को सत्ता से बेदखल कर ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने सरकार बनाई है। यह पार्टी इस समय भी केंद्र में अहम भूमिका में है। आने वाले समय में ममता बनर्जी केंद्र की सत्ता में और भी महत्वपूर्ण योगदान देने को तैयार हैं। यहां की 42 लोकसभा सीटों में आने वाले समय में ज्यादातर पर ममता का दावा मजबूत है।
बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल युनाइटेड पूर्ण बहुमत के साथ अपनी सरकार बनाने में कामयाब रही है। नीतीश कुमार का कहना है कि अब देश केवल दो राष्ट्रीय पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस के इशारे पर चलने वाला नहीं है। इन दोनों पार्टियों को यह समझना चाहिए कि यह गठबंधन का जमाना है। इस समय जदयू एनडीए का हिस्सा है। मगर आने वाले समय में वे एनडीए का दामन छोड़ तीसरे मोर्च को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। यहां की 40 सीटें केंद्र में अहम योगदान दे सकती हैं।
उड़ीसा में बीजू जनता दल की नवीन पटनायक सरकार मजबूती से टिकी हुई है। अब नवीन पटनायक भी केंद्र की सत्ता की तरफ रुख करना चाह रहे हैं। जिसके लिए वे किसी राष्ट्रीय पार्टी को समर्थन देने की जगह तीसरा मोर्चा बनाने में अहम योगदान दे सकते हैं। राज्य में लोकसभा की 21 सीटें हैं। जहां कांग्रेस और भाजपा का प्रदर्शन कुछ खास नहीं हैं।
इन पार्टियों के अलावा और भी कई छोटे दल हैं जो तीसरा मोर्चा बनाने में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं। ये छोटे क्षेत्रीय दल इस समय राज्य सरकारों के गठन में अहम योगदान दे रहे हैं। अब इन क्षेत्रीय दलों को भी अहसास होने लगा है कि उनके लिए दिल्ली अब दूर नहीं है।
पिछले कुछ समय से भ्रष्टाचार और महंगाई ने जनता के साथ-साथ कांग्रेस की भी कमर तोड़ दी है। 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में उसका प्रदर्शन बहुमत बहुत ही खराब रहा है। जबकि बीजेपी के पास भी ऐसा कोई नेता नहीं है जो उसे केंद्र की सत्ता तक पहुंचा सके। साफ है कि इस बार कांग्रेस और बीजेपी में से कोई भी मजबूती से उभरें इसके आसार कम ही नजर आ रहे हैं। इन दोनों पार्टियों के खराब प्रदर्शन की वजह से आने वाले लोकसभा चुनावों में तीसरा मोर्चा अहम भूमिका निभा सकता है।