विधानसभा चुनाव में विवादों से दूर रही भाजपा
भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी और उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा था कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी, पीलीभीत के सांसद फिरोज वरूण गांधी चुनाव प्रचार में आएंगे लेकिन भाजपा नेतृत्व ने उन्हें पूरे राज्य में प्रचार से दूर रखा तथा पीलीभीत में ही प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी। भाजपा के नेता का कहना है कि एक रणनीति के तहत पार्टी ने मध्यमार्गी तरीका अपनाया ताकि मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण नहीं हो सके।
चुनाव में कमोवेश पार्टी अपनी इस रणनीति में सफल भी रही और भाजपा के खिलाफ मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण किसी एक पार्टी के पक्ष में नहीं हो सका। भाजपा नेताओं ने कांग्रेस के मुस्लिम आरक्षण बढ़ाये जाने के मुद्दे पर भी ज्यादा मुखर विरोध नहीं किया, इसके एवज में पार्टी ने पिछडों के हक पर डाका डालने का सवाल उठाया और कहा कि पिछड़ों का हक लेकर मुसलमानों को नहीं दिया जा सकता।
मुस्लिम आरक्षण बढ़ाने का सवाल उठा कर कांग्रेस ने फायदा उठाने की कोशिश की लेकिन समाजवादी पार्टी भी यही मुद्दा लेकर आगे बढ़ी। यही नहीं भाजपा ने अयोध्या में मंदिर निर्माण के मुद्दे से भी खुद को दूर रखा। पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी पहली सभा फैजाबाद में की और सिर्फ यह कहा कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बने यह उनका सपना है। भाजपा यह मुद्दा नहीं उठाकर मंदिर मस्जिद विवाद से साफ बच गयी।
लोकसभा के पिछले चुनाव में पीलीभीत से चुनाव लड़ रहे वरूण गांधी के मुस्लिम विरोधी भाषणों से काफी बवाल मचा था। निर्वाचन आयोग ने यहां तक कहा था कि पार्टी उन्हें प्रत्याशी पद से हटाये लेकिन पार्टी नेतृत्व ने यह सलाह नहीं मानी। मुस्लिम विरोधी बयान पर हंगामा कुछ इस कदर हुआ कि श्री गांधी को जेल जाना पड़ा और उन पर 'राष्ट्रीय सुरक्षा कानून' के तहत कार्रवाई हुई।
भाजपा की तेज तर्रार नेता और पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद की दावेदार उमा भारती भी हिन्दुत्व के सवाल पर संयमित रहीं और भ्रष्टाचार तथा कानून व्यवस्था का ही मुद्दा उठाया। इन तमाम कोशिशों के बवाजूद हालांकि पीलीभीत तक ही सीमित कर दिये गये राहुल गांधी पार्टी के लिये परेशानी खड़ी कर ही गये १उन्होंनें एक खबरिया चैनल को दिये बयान में कहा कि भाजपा में मुख्यमंत्री पद से 55 दावेदार हैं और चुनाव बाद सपा राज्य में सबसे बड़ी पार्टी होगी। राहुल गांधी के इस बयान पर भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी काफी नाराज हुये और उन्हें अपना बयान वापस लेना पड़ा। श्री गांधी ने लिखित स्पष्टीकरण में कहा कि उनके बयान को शरारतपूर्ण तरीके से पेश किया गया।