एनआरएचएम घोटाला : कुशवाहा आज करेंगे जमानत के लिए अपील
वहीं सीबीआई के समक्ष भी साख की चुनौती बन आई है। क्योंकि अब तक की पूछताछ में कुशवाहा ने खुद को बेकसूर बताते हुए घोटाले का ठीकरा मुख्यमंत्री समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों के सिर फोड़ा है। अब सीबीआई जांच के दायरे में इन बड़े लोगों को शामिल नहीं करती है तो नि:संदेह उसकी साख प्रभावित होगी। बाबूसिंह कुशवाहा को रिमांड पर लेने के पहले भी सीबीआई कई चक्रों में उनसे पूछताछ कर चुकी है। सूत्रों का कहना है कि कुशवाहा ने हर बार सीबीआई को एक ही जवाब दिया।
उनकी दलील रही कि एनआरएचएम के पैसों का उपयोग करने वाली समिति की अध्यक्ष मुख्यमंत्री होती हैं और उनकी अनुपस्थिति में ही मंत्री को बतौर उपाध्यक्ष अध्यक्षता करनी होती है। परिवार कल्याण मंत्री के पौने दो वर्ष के कार्यकाल में उन्होंने एक भी बैठक की अध्यक्षता नहीं की। इसके अलावा एक और समिति के अध्यक्ष राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव थे। कुशवाहा का कहना है कि उन्होंने एनआरएचएम के मद में एक भी पैसा आवंटित नहीं किया है। सूत्रों के मुताबिक पहले की पूछताछ में कुशवाहा यह भी आरोप लगा चुके हैं कि मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, कैबिनेट सचिव शशांक शेखर व प्रमुख सचिव नियुक्ति/गृह कुंवर फतेहबहादुर ने उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा और फाइलों व सबूतों को गायब करने में तत्कालीन प्रमुख सचिव नीता चौधरी ने भी भूमिका निभाई।
कुशवाहा का यह भी आरोप है कि जब उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी तो उन्हें बदनाम करने के लिए दो सीएमओ की हत्या करा दी गई। उनका यह आरोप तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अंटू मिश्रा और उनके करीबी ठेकेदारों पर है। कुशवाहा ने शुरुआत में सिद्दीकी, शशांक शेखर और फतेहबहादुर पर अपनी हत्या के षड्यंत्र का भी आरोप लगाया था। सीबीआइ को अब पूछताछ को दस दिन का मौका है और उसके लिए यह भी पड़ताल करना है कि कुशवाहा ने यह सब अपने बचाव में पेशबंदी के तौर पर कहा है या फिर उनकी कहानी में वाकई दम है। कुशवाहा के ये आरोप जितने गंभीर हैं, उतने ही चुनौतीपूर्ण।