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इसरो के चारों वैज्ञानिकों को मिलेगा सफाई का मौका

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Former ISRO Chief Madhavan Nair
दिल्ली (ब्यूरो)। एंट्रिक्स-देवास करार को लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों के छीछालेदर के बाद कानून मंत्रालय ने अंतरिक्ष विभाग को सलाह दी है कि चारों वैज्ञानिकों को अपना पक्ष रखने का मौका मिलना चाहिए जिन्हें ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। हालांकि मंत्रालय ने यह भी कहा है कि करार को लेकर अब किसी जांच और आरोप पत्र की जरूरत नहीं है। वैज्ञानिकों को अपना पक्ष रखने का मौका मिलने से उनकी यह शिकायत दूर हो जाएगी कि उनके साथ उचित व्यवहार नहीं किया गया।

आपको बता दें कि सरकार की कार्रवाई को लेकर देश के शीर्ष वैज्ञानिकों के बीच छिड़ी रार के बाद अंतरिक्ष विभाग ने समूचे विवाद पर कानून मंत्रालय से राय मांगी थी। एंट्रिक्स-देवास करार में कथित भूमिका के लिए सरकार ने पूर्व इसरो प्रमुख जी माधवन नायर और इसरो में काम कर चुके तीन अन्य वैज्ञानिकों ए. भास्कर नारायण, केआर श्रीधरमूर्ति व केएन शंकर को सरकारी पदों में नियुक्ति के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। इस कार्रवाई का जिक्र करते हुए कानून मंत्रालय ने कहा है कि वैज्ञानिकों को आरोपों की वास्तविक प्रकृति से सूचित कराया जाना चाहिए था। कानून मंत्रालय की यह सलाह अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती से मिले उस परामर्श पर आधारित है जिसमें कहा गया था कि वैज्ञानिकों के खिलाफ कार्रवाई दंडात्मक नहीं है, लेकिन सरकार को नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए था।

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English summary
Putting moral pressure on the government, a Law Ministry report has suggested that former ISRO chief Madhavan Nair should have been heard before an order blacklisting him along with three of his colleagues for their alleged involvement in the Antrix-Devas deal was issued.
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