क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

लैपटॉप के चक्‍कर में प्राइमरी स्‍कूल भूल बैठे राजनीतिक दल

Google Oneindia News

up assembly polls 2012
प्रदीप शुक्‍ल 'स्‍वतंत्र'
उत्‍तर प्रदेश की दो बड़ी पार्टियां हाई एजूकेशन को बढ़ावा देने के लिए घोषणा पत्र में टैबलेट और लैपटॉप देने का वादा कर चुकी हैं। सपा ने अपने घोषणापत्र में ऐलान किया है क‍ि उनकी सरकार आने पर इंटर पास छात्रों को लैपटॉप और दसवीं को टैबलेट दिया जाएगा, वहीं भाजपा ने भी गरीबी रेखा से नीचे वाले छात्रों को फ्री में लैपटॉप और बाकियों को 5000 रुपए में देने का वादा किया। इन घोषणाओं से हायर एजूकेशन के हाईटेक होने के संकेत तो दिख रहे हैं, लेकिन बेसिक एजूकेशन की बेस मजबूत करने के कोई आसार नजर नहीं आते।

आपको प्राथमिक शिक्षा से अवगत कराते चलें तो, हमारे राज्‍य में कक्षा पांच के विद्यार्थी कक्षा तीन की किताब नहीं पढ़ पाते हैं और उनका प्रतिशत हर साल बढ़ता जा रहा है। सरकारी स्‍कूलों में वही छात्र है तो गरीब तबके के होते हैं। ऊपरी तबके के बच्‍चे निजी स्‍कूलों की शान बढ़ाते हैं। तो क्‍या गरीब छात्र प्रदेश की शान नहीं बन सकते। बन सकेते हैं, लेकिन तब जब राजनीतिक पार्टियां व सरकार उनके बारे में सोचेगी।

राज्‍य के प्राइमरी स्‍कूलों में पढ़ाई के नाम पर महाज योजनाओ का क्रियांवन होता है। यह राज्‍य की बहुत बड़ी समस्‍या है, लेकिन इसका उपचार कोई नहीं करना चाहता। शिक्षक कहते है कि उन्‍हें जनसंख्‍या, चुनाव और अन्‍य सरकारी व अन्‍य सरकारी कामों में लगाया जाता है। यह बात सभी पार्टियां जानती हैं, लेकिन फिर भी किसी ने भी अपने घोषणा पत्र में प्राइमरी शिक्षा को शामिल नहीं किया। सपा ने कहा कन्‍याओं के लिए महाविद्यालय बनाये जाएंगे वहीं भाजपा ने हर ढाई सौ परिवारों के बीच इंटर कॉलेज खोलने का ऐलान कर दिया। लेकिन ऐसे इंटर कॉलेज का क्‍या फायदा जहां तक बच्‍चे पहुंच ही न पायें।

जनता को और भी ज्‍यादा खुशी होती अगर कोई पार्टी प्राइमरी स्‍कलों को हाईटेक बनाने की बात करती। क्‍या लैपटाप बाट देने से प्राथमिक शिक्षा में सुधार हो जाएगा, क्‍या युवा अपने पैरो पर खड़े होने का काबिल हो जाएगा, क्‍या शिक्षा का ढर्रा सुधर जाएगा? कतई नहीं। यह तभी संभव है जब प्राइमरी शिक्षा को हाईटक बनायेंगे। आप सोच रहे होंगे कैसे।

अगर हमारे प्राथमिक शिक्षको को तकनीकि रूप से प्रशिक्षित करके उतारा जाए तो यह सुधार संभव है। जितने रुपए में दो लैपटाप आयेगा लगभाग उतनी ही कीमत में एक प्रोजेक्‍टर और कंप्‍यूटर भी खरीदा जा सकता है। और यह सिस्‍टम एक साथ 50 बच्‍चों को पढ़ाने में कारगर होगा। जरा सोचिये अगर प्राइमरी स्‍कूलों में प्रोजेक्‍टर पर ऑडियो-विजुअल के माध्‍यम से नर्सरी की कविताएं व एबीसीडी और 1,2,3... पढ़ायी जाये तो बच्‍चों की पढ़ाई में रुचि कई गुना बढ़ जायेगी। तब बच्‍चों को स्‍कूल बुलाने के लिए मिड-डे-मील जैसी योजनाओं की जरूरत नहीं पड़ेगी।

हम आपमो बता दें कि देश के तमाम निजी स्‍कूल महज पचास हजार खर्च करके अपने स्‍कूलों में 'स्‍मार्ट क्‍लास' बनाकर अभिभावकों से लाखों कमाते हैं। चुनाव मैदान में उतर रहीं राजनीतिक पार्टियों से हमारा सवाल है कि क्‍या प्राथमिक विद्यालयों के बच्‍चे स्‍मार्ट क्‍लास के हकदार नहीं?

Comments
English summary
Every political party has included Laptops and tablets to make the Higher education more higher, but none of the parties talked about the basic education. No body wants to strengthen the base of the students. If you can by laptops for the students, then why not projector and computers for the kids of primary education.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X