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सीआरपीएफ को लगातार दूसरे बार मिला वीरता पुरस्कार

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नयी दिल्ली। देश के नक्सल प्रभावित इलाकों में माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले भारत के सबसे बडे अर्धसैनिक बल केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के लिए यह काम काफी जोखिम बल्कि मुश्किलों भरा है। नक्सलियों के खिलाफ अभियान में लगे सीआरपीएफ को उसकी जांबाजी के लिए लगातार दूसरे साल सैन्य वीरता पुरस्कार हासिल हुआ है।

माओवादी विरोधी अभियान में 70 हजार से अधिक सीआरपीएफ जवान तैनात हैं। सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट रविन्द्र के सिंह एकमात्रा ऐसे गैर सैन्य अधिकारी हैं जिन्हें, शौर्य चक्र हासिल हुआ है। इस केन्द्रीय बल को लगातार दूसरे साल यह गौरव हासिल हुआ है। पिछले साल सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो अशीष तिवारी को वीरता मेडल दिया गया था।

सीआरपीएफ के चार अन्य कर्मियों को राष्ट्रपति के पुलिस मेडल से सम्मानित किया गया है। इन्होंने नक्सल विरोधी कार्रवाई में जबर्दस्त बहादुरी का परिचय दिया है। एक अधिकारी ने भाषा को बताया कि नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई में अपना बायां पैर गंवाने वाले रविन्द्र सिंह को सीआरपीएफ में काफी सम्मान की नजर से देखा जाता है क्योंकि उन्होंने दांतेवाडा जैसी एक घटना को होने से रोका।

छत्तीसगढ के दांतेवाडा में 2010 में नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर घात लगाकर हमला किया, जिसमें सीआरपीएफ के 75 जवान मारे गये थे। उन्होंने बताया कि पिछले साल झारखंड के लोहरदग्गा में नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर घात लगाकर हमला किया था। उन्होंने एक साथ 192 बारूदी सुरंगों में विस्फोट किया, जिससे 11 पुलिसकर्मी मारे गये और 44 अन्य घायल हो गये थे।

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English summary
Anti-Maoist operations in Naxal hotbeds have emerged as the most enduring, CRPF as these offensives have not only fetched a military gallantry medal to the force but also the maximum citations to its men.
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