सीबीआई को झटका, वापस पुर्तगाल भेजा जा सकता है सलेम
सीबीआई ने यह भी कहा कि आदेश का सलेम की स्थिति और भारत में उसके खिलाफ जारी मुकदमे पर कोई असर पड़ने की उम्मीद नहीं है। निचली अदालत के खिलाफ सीबीआई की अपील को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अपना फैसला दिया। पुर्तगाल की निचली अदालत ने कहा था कि 2005 में भारत को प्रत्यर्पित किए गए 43 वर्षीय सलेम के मामले में प्रत्यर्पण संबंधी नियमों का उल्लंघन हुआ है। सीबीआई की एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि पुर्तगाली सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट ऑफ अपील और लिस्बन के फैसले को बरकरार रखा जिसमें कहा गया था कि अबू सलेम के प्रत्यर्पण मामले में विशिष्टता कानून का उल्लंघन हुआ है।
इससे अबू सलेम की स्थिति और उसके खिलाफ जारी मुकदमे पर कोई असर पड़ने की उम्मीद नहीं है। लखनऊ और मुम्बई में निचली अदालतें उसकी याचिकाएं खारिज कर चुकी हैं। भारत ने तर्क दिया था कि लिस्बन हाईकोर्ट ने विशिष्टता कानून का अलग तरह से अर्थ लगाया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट ने 14 जनवरी के अपने फैसले में सलेम के प्रत्यर्पण को रद्द नहीं किया और यह सिर्फ एक तकनीकी मुद्दा है जो उठाया गया है। इस बीच सलेम ने मुम्बई की टाडा अदालत में आवेदन दायर कर 1993 के मुम्बई विस्फोटों में अपने खिलाफ मुकदमा बंद किए जाने की मांग की और कहा कि इसे जारी रखना अवैध होगा।
टाडा अदालत सलेम के आग्रह पर कल विचार करेगी। सीबीआई की प्रवक्ता ने कहा कि एजेंसी के पास पुर्तगाल में संवैधानिक अदालत के समक्ष अपील दायर करने का विकल्प मौजूद है और ऐसा किए जाने की संभावना है। उन्होंने कहा अबू सलेम द्वारा भारत में दायर की गई ऐसी ही याचिकाओं पर भारत की सर्वोच्च अदालत ने विशिष्टिता कानून के मुद्दे की गहन समीक्षा की है। प्रवक्ता ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने विशिष्टता कानून से संबंधित मुद्दों की समीक्षा के बाद और ब्रिटेन, अमेरिका तथा पुर्तगाल के प्रत्यर्पण कानूनों की तुलना में 10 सितंबर 2010 को अपने आदेश के जरिए व्यवस्था दी थी कि विशिष्टता कानून का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। इस फैसले के परिणामस्वरूप अबू सलेम के खिलाफ नियमित आधार पर मुकदमा जारी है।