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चौथी बार पकड़ा गया कार जैकर मनोज

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Bakkarwala arrested from Delhi border
दिल्ली (ब्यूरो)। उत्तर भारत का सबसे बड़ा कार जैकर मनोज बक्करवाला चौथी बार पकड़ा गया है। वह इससे पहले तीन बार पुलिस हिरासत से भाग चुका है। पुलिस ने मनोज को उसके दो साथियों के साथ दिल्ली-यूपी बॉर्डर के पास गाजीपुर में दबोचा। दिल्ली पुलिस और हरियाणा पुलिस ने 50-50 हजार का इनाम रखा हुआ था। मनोज कार जैकिंग, चोरी, हत्या सहित करीब 500 वारदात कर चुका है।

मनोज इस समय दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में वारदात कर रहा था। मनोज तीन बार पुलिस कस्टडी से फरार हो चुका है और कई बार पुलिस टीमों को टक्कर मारकर भाग निकला था। इसके कब्जे से 0.32 बोर की पिस्टल, दो मैगजीन, आठ कारतूस और फाक्सवैगन वेंटो कार बरामद की है। पुलिस ने मनोज को दस दिन के रिमांड पर लिया है। मनोज सुबह और देर रात वारदात करता था और पॉश इलाकों से लक्जरी गाड़ियां लूटता था।

स्पेशल सेल उपायुक्त अरुण कंपानी ने बताया कि 15 और 16 जनवरी की रात अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त भीष्म सिंह को सूचना मिली थी कि मनोज अपने साथियों के साथ दक्षिण दिल्ली में वारदात करने आएगा। इंस्पेक्टर उमेश बर्थवाल, नीरज कुमार और विवेक त्यागी की भारी भरकम टीम ने एनएच-24 पर गाजीपुर मंडी फ्लाईओवर के पास से सोमवार तड़के मनोज उर्फ मनू उर्फ मंजीत उर्फ समीर उर्फ निशांत उर्फ अजय को उस समय पकड़ लिया जब वह फाक्स वैगनसवेंटो कार से दिल्ली आ रहा था।

इसने बताया कि यह अपने दो साथियों को चोरी की यह कार को देने आया था। इसकी निशानदेही पर पुलिस ने इसके दो साथियों गांव बिसारा, अलीगढ़ निवासी राजकुमार उर्फ राजू और गांव नानकपुरा, मथुरा निवासी जयदेव सिंह को आनंद विहार बस अड्डे से दबोच लिया।

पुलिस उपायुक्त ने बताया कि अपने 14 साल के आपराधिक कैरियर में मनोज करीब 300 वारदात कर चुका है। कार चलाने में माहिर मनोज शानोशौकत की जिंदगी जीता था। कार चोर माखन के साथ इसने वर्ष 1998 में अपराध की दुनिया में कदम रखा था। यह पहली बार वर्ष 1998 में गिरफ्तार हुआ था। जमानत पर बाहर आते ही वारदात करने लग गया। फिर वर्ष 2003, वर्ष 2005 और 2007 में गिरफ्तार हुआ।

मनोज ने प्रवीण के साथ जेल में फरार होने की साजिश रची। वर्ष 2008 में यह द्वारका से गुड़गांव पुलिस की कस्टडी से फरार हो गया था। तीस हजारी कोर्ट में पेश कर पुलिस उसे वापस ले जा रही थी। आठ मई 2009 को मनोज को सेक्टर-22, रोहिणी में पुलिस ने घेर लिया था। यह पुलिस पर फायरिंग कर फरार हो गया था। पुलिस की जवाबी फायरिंग में उसके पैर में गोली लगी थी।

12 जुलाई, 2009 को मनोज फिर गिरफ्तार हुआ। 20 जून, 2011 को मनोज पुलिस की कस्टडी से उस समय फरार हो गया जब हरियाणा पुलिस के दो सिपाही उसे भोड़सी जेल ले जा रहे थे। 16 और 17 अक्तूबर की रात आईटीओ पर अपराध शाखा की टीम ने इसे साथी घेर लिया था। यह पुलिस की गाड़ी को टक्कर मारकर फरार हो गया था। इसमें दिल्ली पुलिस का एसआई गंभीर रूप तरह घायल हो गया था।

हर बार जेल से बाहर आने के बाद मनोज कार जैकिंग करने लगता था। कुछ साल पहले उसकी मुलाकात पंजाब पुलिस के एक बर्खास्त सिपाही से पहचान हुई। मनोज की लूटी गई कारों को सिपाही अपने अन्य साथियों के साथ सप्लाई करने लगा था। अधिकारियों के अनुसार इस समय उसकी गाड़ियां यूपी, बिहार और पंजाब में सप्लाई हो रही थी।

मनोज परिवार की करोड़ों की प्रापर्टी का वारिस है। ऐसे में वह कार जैकिंग करता था। उसे लक्जरी लाइफ जीने का शौक था। पुलिस के अनुसार वह अपने पर रोजाना 20 से 25 हजार खर्च करता था। लक्जरी गाड़ियों की लूटने के बाद आगे बेचने में उसे मोटी कमाई होती थी।

English summary
Manoj Bakkarwala, wanted for over 300 cases of vehicle theft and described by police as one of the most notorious vehicle thieves in north India, was arrested from Delhi border.
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