उर्दू-हिंदी के बीच फंसी हरियाणा पुलिस
पुलिस विभाग में तैनात अधिकारी तथा कर्मचारी अनुसंधान के समय अथवा राजकीय कार्यों में इन शब्दों का प्रयोग करते चले आ रहे हैं, जबकि वास्तव में उनको इन उर्दू भाषा के शब्दों-अर्थों का ज्ञान नहीं होता।
न्यायालयों में वकीलों द्वारा बहस के समय पुलिस कर्मचारी उर्दू के इन शब्दों का अर्थ तक बताने में बगलें झांकने लगते हैं। मिली जानकारी के अनुसार हिंदी को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा के पूर्व डीजीपी निर्मल सिंह ने वर्ष 2005 में लिखित आदेश पारित कर सभी थानों एवं पुलिस चौंकियों के प्रभारियों को उर्दू के शब्दों की जगह हिंदी के शब्दों का इस्तेमाल करने के आदेश दिए थे लेकिन उसके बाद इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और आज भी पुलिस विभाग पुराने ढर्रे पर चला आ रहा है।
सभी पुलिस कर्मचारी अपनी भाषा में परिवर्तन लाने का प्रयास करें तो उर्दू के शब्दों की जगह हिंदी भाषा के शब्दों का प्रयोग हो सकता है, जिससे भाषा ज्ञान की अज्ञानता से भी बचा जा सकता है। प्रस्तुत हैं उर्दू के वे शब्द जिनका पुलिस कर्मचारी इस्तेमाल कर रहे हैं :-
उर्दू शब्द व उनके हिंदी अर्थ
मजकूर:
ऊपर
वर्णित
मकतूल:
मृतक
रवानगी:
भेजना
अजाने:
अनजाने
आगाज:
आरंभ
जुर्म
काबिल:
अपराध
होना
जर
तफ्तीश:
अनुसंधान
अधीन
बराए
तफ्तीश:
अनुसंधान
हेतू
हमराही
मुलाजमान:
साथी
कर्मचारी
अरसाल
है:
भेजी
जा
रही
है
बादस्त:
के
द्वारा
तहरीर:
लेख
लिहाजा:
अत:
मजबून
तहरीर:
लेख
के
विषय
में
सूरत-ए-जुर्म:
अपराध
का
बनना
मन
मैं:
स्वयं
मुखबरी:
गुप्त
सूचना
मर्ग
रपट:
मृत्यु
जांच
रिपोर्ट
इमरोज:
आज
जैल:
निम्रलिखित
बासिलसिला:
के
संबंध
में
वलदियत:
पुत्र