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फर्जी प्रमाण पत्र से बनी आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी

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Police
कुरूक्षेत्र। झूठे अनुभव प्रमाण पत्र के आधार पर एनआरएचएम के अन्तर्गत आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी की नौकरी हथियाने का मामला प्रकाश में आया है। मामले का शिकार हुई पिहोवा मॉडल टाऊन वासी संगीता जिंदल पत्नी सुनील जिंदल ने बताया कि उसने 27 मई को जिला आयुर्वेदिक अधिकारी कार्यालय में पीएचसी सैयाणा सैदां हल्का पिहोवा के लिए अनुबंध आधार पर आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी पद के लिए इंटरव्यू दिया था।

तीन महीने बाद उसे पता चला कि अधिकारियों की मिलीभगत से उसकी मैरिट होने के बावजूद किसी अन्य उम्मीदवार को नौकरी पर रख लिया गया है। इस घपलेे की शिकायत उसने वित मंत्री हरमोहिंद्र सिंह चटठा से कर दी है। जिन्होंने जिला उपायुक्त को मामले की जांच-पड़ताल कर उचित कार्रवाई करने के आदेश दिए है।

कहां हुआ है घपला?

संगीता जिंदल ने कालिका एक्सपै्रस से बातचीत करते हुए बताया कि चयनित की गई उम्मीदवार द्वारा महर्षि दयानंद सेवा सदन कुरूक्षेत्र के लैटर पैड पर एक झूठा अनुभव प्रमाण पत्र बनवाया गया है जिसमें उसको वहां 11200 प्रति महीना पर आयुर्वेदिक अधिकारी के रूप में पिछले छह वर्षो से कार्यरत दिखाया है। जबकि संस्था के पदाधिकारियों का कहना है कि एक सामाजिक संस्था इतने पैसों में किसी को कैसे रख सकती है।

संगीता के अनुसार मामले का दिलचस्प पहलू यह है कि अनुभव प्रमाण पत्र जारी करने वाला व्यक्ति न तो संस्था से जुड़ा है न ही पदाधिकारियों के अलावा कोई अन्य प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अधिकृत है। संगीता ने बताया कि इंटरव्यू में अनुभव प्रमाण पत्र के 10 अंक रखे गए थे और चयनित उम्मीदवार को इस फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र के पूरे दस अंक ही दिए गए है जिसके आधार पर उसका चयन हुआ है।

क्या कहते है संस्था के अधिकारी?

इस बारे में जब महर्षि दयानंद सेवा सदन के मौजूदा प्रधान हीरा राम आर्य से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमारी संस्था की ओर से ऐसा कोई अनुभव प्रमाण पत्र जारी नही किया गया है और न ही इसे जारी करने वाले व्यक्ति से हमारा कोई संबध है। उक्त व्यक्ति पंतजलि योग पीठ की दवाईयां वगैरह बेचता है। आर्य ने बताया कि उनके खुद के पास संस्था के लैटर पैड नही है ऐसे में उक्त व्यक्ति के पास लैटर पैड कहां से आया वे इसकी जांच करेंगे।

वहीं दूसरी ओर संस्था के सचिव राजिंद्र विद्यालंकार का कहना है कि अनुभव प्रमाण पत्र जारी करने वाला व्यक्ति करीबन एक साल पहले उनकी संस्था का उपप्रधान रह चुका है और अब वह हमारी संस्था का सदस्य है लेकिन उन्होंने भी माना कि उक्त व्यक्ति को ऐसा पत्र जारी करने का कोई अधिकार नही है। इस बारे में जब जिला आयुर्वेदिक अधिकारी से बात करने का प्रयास किया गया तो उनसे संपर्क नही हो पाया। ऐसे में क्या संगीता को इंसाफ मिल पाएगा यह बात समय के गर्भ में है। मगर पूरे मामले में जिला के आयुर्वेदिक अधिकारियों की भूमिका से इंकार नही किया जा सकता।

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English summary
Ayurvedic medical officers were caught by Police in Haryana.
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