अपना शरीर दान कर सकते हैं एड्स के रोगी
श्री जयनारायण पीजी कॉलेज के शिक्षक एवं संगठन के अध्यक्ष डा. आलोक चांटियां व उनकी टीम ने इस नाटक का मंचन कर कई गंभीर बातें बतायीं, जो लोगों को पता तक नहीं हैं। सबसे अहम बात यह कि अभी भी लोगो को में एड्स के प्रति गंभीरता नही है, क्यों की बहुत कम लोग ही जानते है कि विंडो समय में किया गया रक्त दान का रक्त संक्रमित भी हो सकता है।
ऐसा इसलिए क्योकि जब हमारे शरीर में रक्त संक्रमित होता है तो शरीर कि प्रतिरक्षा प्रणाली को इस बात का पता लगने और उस के विरोध में प्रतिपिंद बनाने में करीब 10 दिन लग जाते हैं। और हमारे यहां होने वाला टेस्ट सिर्फ प्रतिजन और प्रतिपिंद का टेस्ट होता है, जो सिर्फ एक बार होता है। लिहाजा हमारे टेस्ट में कोई रिजल्ट आएगा ही नहीं और गलती से संक्रमित रक्त चढ़ जायेगा।
नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को सलाह दी गई कि जब भी रक्त दान करें तो पहले 10 दिन के अंतर पर दो बार टेस्ट जरूर करवाएं। उसके बाद ही रक्तदान करें। विंडो समय बहुत खतरनाक हो सकता है.
नुक्कड़ नाटक में यह भी दिखाया गया कि अगर संक्रमित व्यक्ति चाहे तो वो देह दान कर सकता है, क्योकि मरने के बाद करीब 5 घंटे के बाद शरीर का तापमान घटकर 34 डिग्री सेलसियस हो जाता है और तब शरीर में एड्स के वाइरस नहीं रह सकते या फिर तब तक वायरस मर जाते हैं। एचआईवी के वायरस मानव शरीर में 37 डिग्री सेलसियस पर ही जिन्दा रह सकते हैं। यानि संक्रमित व्यक्ति अगर चाहे तो शरीर दान करके इस देश कि मेडिकल साइंस में सहयोग कर सकता है।
इसलिए पीड़ित व्यक्ति को यह नही सोचना चाहिए कि अब उसकी कोई उपयोगिता ही नही रह गई है। इसके अलवा नाटक में एआरटी उपचार, के बारे में और कैसे होता है, कैसे बचाव किया जा सकता है, को दिखाया गया।
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नाटक में डा. आलोक चांटिया के अलावा शशांक उपाध्याय, पवन नाग, पवन, श्वेता सिंह, डिम्पल यादव, पुष्पेन्द्र, अरविन्द शर्मा, प्रन्शुल, शिवम, रोहित पांडे, संदीप सिंह, अतिल कुमार सिंह, संदीप सिंह सनी, तरुण कुमार तिवारी, सहित कई लोगो ने हिस्सा लिया जिसमे डॉ महिमा देवी, सोनिया श्रीवास्तव, डॉ मन्दाकिनी, डॉ देवाशीष, उमेश शुक्ल, अंकित गोएल सहित सैकड़ो लोगों ने हिस्सा लिया।