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कुछ भ्रष्ट जजों के कारण सबको नहीं कहिए भ्रष्टः कपाडिया

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दिल्ली (ब्यूरो)। चीफ जस्टिस आफ इंडिया एसएच कपाड़िया विधि दिवस पर खूब बोले। उन्होंने कहा कि कुछ भ्रष्ट्र लोगों के कारण पूरी न्यायापालिका को भ्रष्ट कहना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि किसी जज के बारे में ऐसा लगता है कि वह भ्रष्ट है तो उसका नाम सार्वजनिक किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि सभी जजों को एक की श्रेणी में रखने से परहेज करना चाहिए। यही नहीं जस्टिस कपाडि़या ने न्यायपालिका से संयम बरतने और सरकार एवं संसद के अधिकार क्षेत्र के अतिक्रमण से दूर रहने की अपील की।

उन्होंने कहा कि अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण पूरी व्यवस्था को खतरे में डाल सकता है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, न्यायपालिका को संविधान द्वारा निर्धारित क्षेत्र में काम करने की जरूरत है। न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को लेकर न्यायाधीशों पर उठाई जाने वाली अंगुलियों पर बिना किसी का जिक्र किए जस्टिस कपाडि़या ने साफ कर दिया कि अगर कोई जज भ्रष्ट है तो उसके खिलाफ कार्रवाई और नाम सार्वजनिक करने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन पूरी न्यायपालिका को भ्रष्ट बताना मंजूर नहीं है। उन्होंने कहा कि आप या तो विकल्प बताइए या फिर स्थापित व्यवस्था और प्रतिष्ठानों की आलोचना बंद होनी चाहिए।

जस्टिस कपाडि़या ने यह भी ताकीद की किसी भी न्यायाधीश के खिलाफ आरोप लगाने से पहले वादी को ठोस सबूत लेकर सामने आना चाहिए। बजाय इसके कि यह कह दिया जाए कि सभी बेईमान हैं। न्यायपालिका की सत्यनिष्ठा, उत्कृष्टता और क्षमता के उन्नयन पर जोर देते हुए जस्टिस कपाडि़या ने कहा कि सही तर्को के साथ निष्पक्ष आलोचना का स्वागत है लेकिन कुछ की कारगुजारियों के लिए सबको जिम्मेदार ठहरा देना गलत है।

जजों की सत्यनिष्ठा को जवाबदेही से ज्यादा महत्वपूर्ण बताते हुए जस्टिस कपाडि़या ने कहा कि लोगों को न्यायाधीशों में भरोसा है और जजों की बुद्धिमता की वजह से लोग न्यायपालिका पर भी विश्वास करते हैं। कोर्टों में लंबित मामलों पर उन्होंने कहा कि यह धारणा गलत है कि अदालतों में लाखों मामले लंबित हैं। इस साल एक नवंबर तक सुप्रीम कोर्ट में 56 हजार 383 मामले ही लंबित थे। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट और निचली अदालतों में कुल 3.19 करोड़ मामले लंबित हैं जिनमें 74 फीसदी मामले पांच साल से भी कम पुराने हैं।

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English summary
Don't bring judiciary to disrepute for few erring judges says chief justice of India SH Kapadia.
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