हाथी पर सवार मायावती की फिजूल खर्ची 66 करोड़
इस मुद्दे पर बहुत दूर जाने की जरूरत नहीं है। लखनऊ की परियोजना ही काफी है। यदि आप लेखाकार की रिपोर्ट देखेंगे तो यह देखकर दंग रह जाएंगे कि किस तरह मायावती ने पैसे की बर्बादी की है। नियंत्रण और लेखाकार विभाग ने विधानसभा को अपनी रिपोर्ट पेश कर बताया है कि माया सरकार ने 66 करोड़ रूपये जरूरत से अधिक खर्च किया है। भीम राव अंबेडकर पार्क पर 366.82 करोड़ खर्च किये गये, काशी राम स्मारक पर 514.4 करोड़ रूपयें खर्च किये गये और कुल बजट 881.22 करोड़ रूपयें था। 31 दिसंबर 2009 को ये खर्च 2451.93 करोड़ तक पहुंच गया।
यही नहीं 2007 से 2009 के बीच 2261.93 करोड़ जारी हुआ। दोनों परियोजनाओं के लिए मिर्जापुर के चुनार से पत्थर राजस्थान के बायाना ले जाया गया। कारीगरी के बाद लखनऊ लाया गया अगर चुनार में ही तराशा जाता तो 15.6 करोड़ की बचत होती। राजकीय निर्माण निगम ने भी कई काम ऊंची कीमत पर करवाये गये। ठेकों में संशोधन कर 22 करोड़ अतिरिक्त खर्च किये गये। जरा सोचिए 15 करोड़ में पत्थर राजस्थान से मंगवाया गया और फिर वापस भेज दिये गये।
लेखाकार नियंत्रण की यह रिपोर्ट जनता तक पहुंच भी जाए तो भी शायद कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, क्योंकि यूपी की जनता को अपने शहर में शानदार पार्क व चौराहों पर मूर्तियां दिखाई दे रही है, उसके पीछे पैसे की बर्बादी नहीं। खैर यह बात पक्की है, कि अगर मायावती के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हुई, तो उनका वोटबैंक जरूर कमजोर पड़ सकता है।