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अंतिम दिनों में लोगो के जूठन पर जिन्‍दा था गद्दाफी

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gaddafi
लंदन। दुनिया का सबसे बड़ा तानाशाह, लीबिया पर लगातार 42 साल तक राज करने वाले मुअम्मर गद्दाफी को अपने जीवन के अंतिम दिनों में जूठन और बचे खुचे खानो से पेट भरना पड़ता था। अगर विद्रोहियों की गोली से उसकी मौंत नहीं होती तो भूख तो ले ही लेती उसकी जान। सोने की थाली में खाना खाने वाले गद्दाफी का अंतिम दिन जूठन से गूजर रहा था।

लीबिया के पूर्व तानाशाह कर्नल मुअम्मर गद्दाफी अंतिम दिनों में अपने गृहशहर सिरते में जूठन और बचे खुचे खानों पर निर्भर हो गए थे और एक खाली मकानों में एक मकान से दूसरे मकान में भागते थे। उनके शीर्ष सुरक्षा सहयोगी मानसाउर दाओ ने सीएनएन के साथ साक्षात्कार में कहा कि सिरते में विद्रोहियों के आगे बढ़ने पर गद्दाफी को बिना बिजली और टीवी के दिन गुजारने पड़े जबकि अपने शासन में वह महल का विलासिता जीवन जीते थे।

मिसराता के एक हिरासत केंद्र से इस अधिकारी ने बताया कि खाली पड़े मकानों में कैसे गद्दाफी बचे खुचे भोजन से पेट भरते थे और अपने सूटकेस में उन्होंने जो किताबें ले रखी थीं, उन्हें पढ़ते रहते थे। दाओ के अनुसार गद्दाफी ने जीवन के अंतिम क्षणों में सिरते से 20 किलोमीटर दूर अपने गांव जारेफ जाने की योजना बनाई थी क्योंकि शायद वह वहीं अंतिम सांस लेना चाहते थे।

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English summary
Libyan fighters speak to a member of the National Transitional Council (NTC) in a room in Muammar Gaddafi's villa just outside Obari November 3, 2011.
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