अंतिम दिनों में लोगो के जूठन पर जिन्दा था गद्दाफी
लीबिया के पूर्व तानाशाह कर्नल मुअम्मर गद्दाफी अंतिम दिनों में अपने गृहशहर सिरते में जूठन और बचे खुचे खानों पर निर्भर हो गए थे और एक खाली मकानों में एक मकान से दूसरे मकान में भागते थे। उनके शीर्ष सुरक्षा सहयोगी मानसाउर दाओ ने सीएनएन के साथ साक्षात्कार में कहा कि सिरते में विद्रोहियों के आगे बढ़ने पर गद्दाफी को बिना बिजली और टीवी के दिन गुजारने पड़े जबकि अपने शासन में वह महल का विलासिता जीवन जीते थे।
मिसराता के एक हिरासत केंद्र से इस अधिकारी ने बताया कि खाली पड़े मकानों में कैसे गद्दाफी बचे खुचे भोजन से पेट भरते थे और अपने सूटकेस में उन्होंने जो किताबें ले रखी थीं, उन्हें पढ़ते रहते थे। दाओ के अनुसार गद्दाफी ने जीवन के अंतिम क्षणों में सिरते से 20 किलोमीटर दूर अपने गांव जारेफ जाने की योजना बनाई थी क्योंकि शायद वह वहीं अंतिम सांस लेना चाहते थे।