नाना की अर्जी खारिज, बच्चा जाएगा पिता के पास
गार्जियन जज गौतम मनन की अदालत ने अपने एक फैसले में बच्चे के नाना की अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि दूसरी शादी करने का मतलब यह नहीं है कि बच्चे को उसके पिता से दूर कर दिया जाए। अदालत ने यह भी कहा कि बच्चे की बड़ी बहन पिता के साथ रह रही है और खुश भी है। उसके पिता उसे अच्छी शिक्षा और परवरिश दे रहे हैं। ऐसे में यदि बच्चे को भी उसकी बहन के साथ रखा जाए तो दोनों की अच्छी कंपनी मिलेगी।
अदालत ने यह भी कहा कि दूसरी शादी करने के बाद सौतेली मां भी व्यक्ति के पहली पत्नी से हुई बेटी को प्यार करती है। अदालत ने बच्चे के नाना के उम्र का हवाला देते हुए कहा कि आपकी उम्र 73 वर्ष है ऐसे में आप बच्चों की परवरिश बहुत अच्छी तरह से नहीं कर सकते। यही नहीं आपके पांच अविवाहित बच्चे भी हैं। इन्हीं सभी को आधार बनाकर अदालत ने बच्चे की कस्टडी उसके पिता को दी है। मां की मौत के बाद सात माह की उम्र से ही बच्चा नाना के साथ रह रहा था। बच्चे के माता-पिता की शादी वर्ष-1998 में हुई थी। अक्तूबर-99 में बेटी और जुलाई-01 में बेटा हुआ था। बीमारी की वजह से व्यक्ति की पत्नी की मौत दिसंबर-2002 में हो गई थी।