कुलदीप बिश्रोई के 25 हजार वोट खा गया रोडरोलर!
उपचुनाव में कुलदीप की निर्णायक जीत का अंतर 6323 मतों का रहा, जिसका मंथन किया गया तो पाया कि एक प्रत्याशी के चुनाव निशान रोडरोलर था जिसके चलते शायद ! मतदाताओं ने बजाय ट्रैक्टर के निशान पर बटन दबाने के उस रोडरोलर पर बटन दबा दिया होगा। वहीं चुनाव मैदान में कुलदीप नाम के चार अन्य प्रत्याशी भी थे जिनके कारण कुलदीप बिश्रोई की जीत का मार्जिन भी कम हुआ होगा।
उपचुनाव में कुल 40 प्रत्याशी मैदान में थे और उनमें से भारतीय संतमत पार्टी प्रत्याशी ओमप्रकाश कल्याण पुत्र अमरानाद का चुनाव निशान रोडरोलर था, जो कि ईवीएम मशीन पर बने ट्रैक्टर के चुनाव निशान से काफी हद तक मेल खाता था। मतगणना पूरी होने के बाद जब देखा गया कि ओमप्रकाश कल्याण को आजाद प्रत्याशियों में सर्वाधिक 27802 वोट मिले हैं, जब इसके कारण की तह तक जाया गया तो यही सामने आया कि कम से कम 25000 मतदाताओं ने ट्रैक्टर के निशान के धोखे में रोडरोलर का बटन दबा दिया होगा।
चुनावी आंकड़ों के मुताबिक ओमप्रकाश कल्याण को सभी विधानसभा क्षेत्रों से 2 से 3 हजार वोट मिले हैं। उचाना कलां में 3367, आदमपुर में 3214, उकलाना में 2758, नारनौंद में 2552, हांसी में 2946, बरवाला में 3581, हिसार में 3576, नलवा में 2623, बवानीखेड़ा में 3185 वोट मिले हैं, जिससे उक्त प्रत्याशी के कुल वोट 27802 हो गए। वहीं इस उपचुनाव में चार ऐसे भी प्रत्याशी थे, जिनके नाम कुलदीप थे और उन चारों प्रत्याशियों को कुल 8777 वोट मिले हैं।
कुलदीप पुत्र प्रद्युमन्न को 2353, कुलदीप पुत्र मदनलाल को 2712, कुलदीप मलिक पुत्र लख्मीचंद को 1659 व कुलदीप पुत्र साजन को 2053 वोट मिले, जिनमें से 5 हजार वोट हजकां-भाजपा गठबंधन के कुलदीप बिश्रोई के पक्के वोट माने जा रहे हैं। ऐसे में यदि मतदाता धोखा ना खाते तो ये 30 हजार वोट भी कुलदीप बिश्रोई को मिल सकते थे, जिससे वास्तविक जीत का अंतर 36323 मतों का हो सकता था।